जम्मू कश्मीर की रहने वाली धनुर्धर शीतल देवी ने एशियाई पैरा खेल 2023 में कमाल कर दिखाया। 16 साल की इस खिलाड़ी ने दोनों बाजुएं न होने के बाद भी छाती के सहारे दांतो और पैर से तीरंदाजी करने वाली इस खिलाड़ी ने एक ही संस्करण में 2 स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं। इस खिलाड़ी ने महिलाओं की युगल स्पर्धा में रजत पदक भी जीता है। वह ऐसा करने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गयी हैं।
शीतल को जन्म से ही ‘फोकोमेलिया’ नाम की बीमारी है। इस बीमारी में अंग का विकास नहीं होता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वह धनुष ठीक से उठा नहीं पाती थीं, लेकिन कुछ महीने उन्होंने लगातार अभ्यास किया और इसके बाद यह उनके लिए आसान हो गया। शीतल बताती हैं कि जब लोगों को पता चलता था कि उनके हाथ नहीं हैं तो उनके चेहरे के भाव बदल जाते थे, इसके बावजूद उनके घरवालों ने पूरा साथ दिया।
शीतल का अगला लक्ष्य पेरिस पैरालम्पिक में देश के लिए शीर्ष स्थान हासिल करना है। पैर से तीर चलाकर पदक जीतने वाली विश्व की पहली महिला बनने के बाद, शीतल अब पैरा विश्व तीरंदाजी रैंकिंग के महिला कंपाउंड ओपन वर्ग में शीर्ष तीरंदाज बन गई हैं। नई दिल्ली में ‘बीइंग यू’ किताब के कवर लॉन्च के मौके पर, शीतल ने बताया कि वह पैरालम्पिक में पदक जीतने के लिए पुरजोर अभ्यास कर रही हैं। उनकी यह सफलता उन्हें और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित कर रही है। शीतल का यह सफर संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है, जो हर किसी के लिए प्रेरणा है