NARAK CAHTURDASHI : सनातन धर्म में दिवाली का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण त्योहार होता है.. ऐसे में लोग इस त्योहार को पूजा , विधि और अनेको उपाय से करते है. आपको बता दे की दिवाली का पर्व कुल पांच दिनों का पर्व होता है। इस त्योहार की शुरुवात दिवाली से होती है और समापन भैया दूज के दिन होती है। अब बात करे यदि छोटी दिवाली कि ,तो क्या आपको पता है की छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है या इसे नरक चतुर्दशी क्यों कहते है? जानकारी के लिए बता दे कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है और इस साल 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी है. साथ ही इस पर्व को अलग -अलग नामो से भी जाना जाता है जैसे – चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी अथवा काली चौदस. फिलहाल चलिए हम जानते है कि आखिर क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी और इसका पौराणिक महत्त्व क्या है?
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दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छोटी दिवाली के ही दिन भगवान श्री कृष्ण ने नकासुर नामक राक्षस का वध किया था और इसलिए छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. ख़ास बात तो ये है कि इस दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान कर, मृत्यु के देवता यमराज की पूजा बड़े ही विधि -विधान से की जाती है. पूजा के पश्चात आपको अपने घर में दीपक जलाने चाहिए….
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बता दे कि नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाने से व्यक्ति अकाल मृत्यु और यातनाओं से मुक्ति पाता है. इस दिन दीपक जलाने से व्यक्ति को नरक की जगह स्वर्ग की प्राप्ति होती है. साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन महिलाओं को यम के नाम से मिट्टी के 14 दीपक जलाने चाहिए और इन दीयों को घर से बाहर आंगन में एक चौकी पर चावल और आटा बिछाकर रखना चाहिए। इसके पश्चात आप यमराज जी की पूजा आराधना करे और ध्यान रखे की आपको पूजा खत्म होने के बाद उन दियो को गलती से भी पलट कर ना देखें. ऐसा करने से व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है.