NEET QUALIFIER CHARUL : उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के करतारपुर गांव में स्थित एक छोटा परिवार है और उसी परिवार की बेटी चारुल के पिता एक छोटे किसान हैं, जो अपने परिवार को पालने के लिए दिन-रात एक किया करते हैं. दरअसल चारुल के पिता पूरे साल अपनी छोटी सी ज़मीन पर खेती करते थे. साथ ही वो मजदूर की तरह भी काम करते थे. इस तरह से वह प्रत्येक माह 8000 रुपए कमाते थे , परन्तु इतनी कम आय में भला कोई व्यक्ति 7 लोग का खर्चा कैसे उठा सकता था। हालांकि, इस 18 वर्ष की लड़की ने ऐसी संघर्षपूर्ण परिस्थिति में भी डॉक्टर बनने का अपने बचपन का सपना पूरा किया।
बता दे कि चारुल अंग्रेज़ी में काफ़ी ज़्यादा कमज़ोर थीं, और इसीलिए चारुल ने अंग्रेजी भाषा को सुधारने के लिए कक्षा 6 से ही प्रयास करना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने 10वीं कक्षा से ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी शुरू कर दी. अपने परिवार के हालात को समझते हुए उन्होंने स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया और NEET के टॉप कोचिंग सेंटर में एंट्री ले ली.
अब अपने शिक्षा के प्रति जोश को देखते हुए चारुल की नज़र बस NEET क्रैक करने की ओर थी .. बता दे कि चारुल ने पहली बार 2019 में एग्ज़ाम दिया, लेकिन वे रिज़ल्ट आने के बाद स्कोर से संतुष्ट नहीं थीं. दूसरे प्रयास में वो NEET 2020 में टॉपर्स में से एक थीं. जिसमे 720 में से 680 अंक पाने के बाद चारुल की ऑल इंडिया रैंक 631 आई. जिसके बाद उनका AIIMS नई दिल्ली में दाखिला हो गया और अब जल्द ही वो अपना सपना पूरा करेंगी यानी की डॉक्टर बनेंगी।