horse riding : कभी घर के कामों औऱ चूल्हे चौके में अपना दिन औऱ जिंदगी बिताकर उसे महत्वहीन बनाने वाली महिलाएं आज सिर्फ एक ही क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ रही हैं, बल्कि हर क्षेत्र में आगे आकर अपनी क्षमता और ताकत का प्रमाण दे रही हैं। वर्तमान भारत की महिला हर क्षेत्र में निपुण हो रही है। हम बात कर रहे हैं एक ऐसी महिला की , जिसने एथलीट्स में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
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घुड़सवारी में देश की बेटी ने ऐतिहासिक स्वर्ण किया हासिल
जाहिर है, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बेटियां खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं,हालांकि घुड़सवारी में महिलाओं की स्थिति पिछले कई सालों से कुछ बेहतर नहीं किया। लेकिन लंबे इंतजार के बाद घुड़सवारी में देश की बेटी ने ऐतिहासिक स्वर्ण हासिल कर न केवल अपने राज्य और परिवार,बल्कि भारत का मान भी बढ़ाया है। इस बेटी का नाम दिव्यकृति सिंह हैं। देश का मान बढ़ाने वाली दिव्यकृति पहली भारतीय महिला हैं,जिन्हें घुड़सवारी में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया है। दिव्यकृति सिंह को इस साल एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवार्ड दिया गया है।
जर्मनी में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ले रही
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राजस्थान के नागौर जिले की रहने वाली दिव्यकृति सिंह ने अजमेर के मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल और द पैलेस स्कूल जयपुर से शिक्षा हासिल की है। उन्हें घुड़सवारी का काफी शौक था, घुड़सवारी उन्हें विरासत में मिली। उनके पिता विक्रम सिंह राठौड़ राजस्थान पोलो संघ से जुड़े रहे हैं। इसलिए वो पिछले कुछ सालों से जर्मनी में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ले रही हैं।
41 साल के लंबे इंतजार के बार ऐतिहासिक स्वर्ण पदक मिला
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घुड़सवारी में भारत को 41 साल के लंबे इंतजार के बार ऐतिहासिक स्वर्ण पदक मिला है, जिसका श्रेय दिव्यकृति सिंह को जाता है। वह भारतीय घुड़सवारी ड्रेसेज टीम की सदस्य हैं। वर्ष 2022 में दिव्यकृति का एशियन गेम्स में चयन नहीं हो सका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और प्रेक्टिस जारी रखी और इस वर्ष स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके पहले रियाद, सऊदी अरब में अंतर्राष्ट्रीय ड्रेसेज प्रतियोगिता में दिव्यकृति रजत और दो कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं। मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय एक्वेस्ट्रियन फेडरेशन की ओर से जारी ग्लोबल ड्रेसेज रैंकिंग में दिव्यकृति एशिया में नंबर 1 और विश्व में नंबर 14 स्थान पर रहीं।