साइटिका के दर्द से निजात पाने का रामबाड़ इलाज

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योगासन बहुत पुराने समय से ही कई बिमारियों के लिए काफी कारगर है, आज देश-विदेश के सभी लोग स्वस्थ रहने के लिए योगा को अपना रहे हैं। इससे कई बीमारियों के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

योगा की सहायता से ठीक होने वाली शारीरिक समस्याओं की सूची में साइटिका का नाम भी शामिल है। जी हां, साइटिका के कारण होने वाले दर्द से राहत पाने में भी योग मददगार साबित हो सकता है।

एक शोध के मुताबिक, साइटिका की समस्या पीठ के निचले हिस्से में होने वाली सूजन के कारण और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव से हो सकती है। योग से पीठ के निचले हिस्से, पेल्विक और हाथ-पैर की मांसपेशियों का व्यायाम होता है। इससे मूवमेंट में सुधार और नर्वस सिस्टम स्टिमुलेट होता है, जिससे साइटिका के लक्षण को कम किया जा सकता है।

साइटिका के दर्द को कम करते हैं ये 10 योगासन 

अर्धमत्स्येन्द्रासन

अर्धमत्स्येन्द्रासन में अर्ध का मतलब आधा, मत्स्य यानी मछली और इंद्र का अर्थ राजा है। इस आसन को इंग्लिश में हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोज और हाफ लॉर्ड ऑफ द फिशेज पोज भी कहा जाता है। यह योग रीढ़ और मांसपेशियों को आराम देकर ऐंठन व दर्द को दूर करके साइटिका के लक्षण को कम कर सकता है ।

भुजंगासन

भुजंगासन के फायदे में साइटिका का उपचार भी शामिल है। इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहा जाता है। एक रिसर्च में बताया गया है कि यह दर्द, अकड़न और आगे झुकने पर होने वाले दर्द को कम करके साइटिका से राहत दे सकता है। नीचे हम इसकी विधि बता रहे है, जिसे फॉलो करके आप इसे आसानी से कर सकते हैं ।

शलभासन

शलभ का मतलब टिड्डी है। इस योगासन में शरीर का आकार टिड्डी जैसा दिखता है, इसलिए इसे शलभासन कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे लोकस्ट पोज कहा जाता है। शलभासन को पीठ और कमर दर्द के लिए बेहतर योगासन माना जाता है। एक शोध में जिक्र है कि इसके नियमित अभ्यास से साइटिका की स्थिति में भी सुधार हो सकता है।

बालासन

बालासन यानी बच्चे के जैसा आसान। इसे अंग्रेजी में चाइल्ड पोज कहते हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि साइटिका की वजह से शरीर के निचले हिस्से में दर्द होता है। एक शोध में लिखा है कि यह बालासन निचले कमर के दर्द को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है । इसी वजह से माना जाता है कि बालासन करने से साइटिका के दर्द को कम किया जा सकता है।

सेतुबंधासन

सेतुबंधासन को ब्रिज पोज के नाम से भी जाना जाता है। यह लोअर बैक पेन के लिए भी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, यह दर्द या खिंचाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसी वजह से  सेतुबंधासन को साइटिका के लिए भी फायदेमंद माना जाता है ।

अधोमुखश्वानासन

अधोमुखश्वानासन तीन शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। पहला ‘अधोमुख’ यानी नीचे की तरफ मुंह, दूसरा ‘श्वान’ मतलब कुत्ता और तीसरा आसन। इसे इंग्लिश में डाउनवर्ड डॉग पोज भी कहा जाता है। यह योगासन हैमस्ट्रिंग (कूल्हे और घुटने के बीच की मांसपेशियां) और पिंडली को स्ट्रेच कर सकता है। इससे पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत मिल सकती है। इसी वजह से इसे साइटिका में फायदेमंद माना जाता है।

अर्ध चंद्रासन

इस आसन को करते समय शरीर आधे चांद के जैसा दिखता है, इसलिए इसको अर्ध चंद्रासन कहा जाता है। यह योगासन चंद्र नमस्कार का एक हिस्सा है, जिसे साइटिका के लिए अच्छा माना जाता है। इसी वजह से माना जाता है कि अर्ध चंद्रासन से भी साइटिका के दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

सुप्त पादांगुष्ठासन

सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में रेक्लाइंड हैंड-टू-बिग टो पोज कहा जाता है। इस आसन को करने से निचले पीठ के दर्द की समस्या कम हो सकती है, जो साइटिका का एक लक्षण है । इसी वजह से माना जाता है कि यह योगासन साइटिका में फायदेमंद हो सकता है। नीचे इसे करने की विधि जानते हैं।

तितली आसन

तितली आसन को अंग्रेजी में बटरफ्लाई पोज भी कहा जाता है। यह योगासन अंदरूनी जांघों और कूल्हों की मांसपेशियों को स्ट्रैच करके मजबूती प्रदान कर सकता है। साथ ही इससे साइटिका के दर्द से भी राहत मिल सकती है।  

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