भारतीय न्याय संहिता 2023: महिलाएं बनेगी सशक्त

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए ”भारतीय न्याय संहिता 2023 ”(Bhartiya Nyaya Sanhita) सहित तीन विधेयक पेश किये। भारतीय न्याय संहिता 2023 ,सन 1860 की पुरानी भारतीय दंड संहिता की जगह लेगी। यह भारत में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को लेकर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण विधायी कदम माना जा रहा है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 की प्रमुख शक्तियों में से एक महिलाओं और बच्चो के खिलाफ अपराधों से संबधित प्रावधानों को दी गयी प्राथमिकता में निहित है। इसमें यौन अपराध ,महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध ,विवाह से संबधित अपराध, गर्भपात का कारण बनने वाले अपराध और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए एक समर्पित चैप्टर , अध्याय 5 है ,जिसका शीर्षक ‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध’ है। यह इन मुद्दों के लिए कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करता है। पहली बार महिलाओं के खिलाफ अपराधों को पहचानने के लिए ऐसे कृत्यों को शामिल किया गया है जो जघन्य है , फिर भी अपराध नहीं माने जाते है।

महिला उत्पीड़न पर कठोर सजा का प्रावधान

पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करना या शादी का झूठा वादा करके पदोन्नति या रोजगार देने के बहाने से यौन कृत्य करने को नए कानून के तहत पहली बार अपराध माना जायेगा। इसके अलावा विभिन्न श्रेणियों के तहत बलात्कार के लिए सजा 10 साल से लेकर मृत्यदंड तक है। सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास होगी। नाबालिक से बलात्कार की सजा में मृत्युदंड देना शामिल है। नए कानून में पीड़ित की लगातार खराब हालत होने या मौत का कारण बनने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।

किसी महिला को अपमानित करने के इरादे से यह जानते हुए भी की उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाएगा उस पर हमला करने या बल का प्रयोग करने , दहेज़ हत्या और गर्भपात कराने के इरादे से मृत्यु होने पर भी दंड के प्रावधान है। 

जब अपराधियों को सख्त कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा तो यह अपराधियों के बीच एक मजबूत सन्देश भेजेगा कि इस तरह के व्यवहार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इससे महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास की भावना का भी विकास होगा और यह समाज के विभिन्न पहलुओं में उनकी भागीदारी पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ऐसे कानूनों के आस्तित्व और दंडो की गंभीरता से महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरुकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस तरह की जागरूकता से अपराधों की बेहतर रिपोर्टिंग और उनकी रोकथाम हो सकती है।

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