वो कहते हैं न कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ..इसी कहावत को सच कर दिखाया था IAS इरा सिंघल ने..इरा दिल्ली की डिप्टी कमिश्नर भी रह चुकीं है और अभी फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में पोस्टेड हैं और अपने बेहतरीन कामों के लिए मशहूर हैं लेकिन आज उनको देखकर उनकी जिंदगी जितनी खूबसूरत लग रही है उनका सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। इरा मेरठ की रहने वाली है और बचपन से ही पढ़ने-लिखने की शौकीन थीं।

इरा स्कोलियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित है और उनकी शुरुआती पढ़ाई मेरठ के सोफिया गर्ल्स स्कूल से हुई है और फिर आगे की पढ़ाई के लिए, दिल्ली आकर उन्होंने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया और फिर डीयू से एमबीए किया।
बचपन में इरा ने अपने ज़िले में कई बार कर्फ्यू लगा देखा था। वह हर बार सुनती थीं कि DM ने कर्फ्यू का आदेश दिया है। बचपन में उन्हें ये देख के काफी अच्छा लगता था कि डीएम के पास बहुत पावर होती है और तभी से उन्होंने मन में ये गांठ बांध ली कि बड़े होकर वो एक अफसर बनेगी। हालांकि, दिव्यांगता की वजह से लोग हमेशा से ही उनकी काबिलियत पर शक़ करते थे, लेकिन इरा ने कभी भी इन सबको मंजिल के बीच नहीं आने दिया और तीन बार UPSC की परीक्षा पास की।

इरा ने पहले 2 बार UPSC की परीक्षा में कामयाबी पाई.. फिर उनका चयन IRS पद पर हो गया लेकिन 62% लोकोमोटर दिव्यांगता होने के कारण उन्हें विभाग ने ज्वाइन करने से रोक दिया। तब इरा ने इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और साल 2014 में केस जीतकर IRS अधिकारी बनीं।
लेकिन इरा ने यहां पर भी रुकने का नाम नहीं लिया.. उन्होंने एक बार फिर UPSC की परीक्षा दे डाली और 2014 में टॉप करने के बाद देश की पहली दिव्यांग महिला UPSC टॉपर बनीं। साथ ही उन्होंने अपने IAS अफसर बनने के सपने को भी पूरा किया।
इरा आज उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो समाज के तानों और परेशानियों के आगे घुटने टेक देते हैं।