70 साल की वो महिला जिन्होंने सैकड़ो लोगों को दी शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएं-हीराबाई लॉबी

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गुजरात के एक छोटे से गांव जम्बूर की वो महिला जो खुद पढ़ी लिखी नहीं है लेकिन दूसरों को शिक्षित करने के साथ ही रोजगार भी दे रही हैं। इन महिला का नाम है हीरा बाई लॉबी जिन्होंने सिद्दी कम्युनिटी के सैकड़ों लोगों को शिक्षित किया है और उन्हें रोज़गार और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी दे रही हैं। हीरा बाई का जन्म 1 जनवरी 1953 को गुजरात (गिर) के जंबूर गांव में हुआ था बहुत छोटी सी उम्र में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था।

उनका पालन पोषण उनकी दादी ने किया, लेकिन वह कभी स्कूल या कॉलेज न जा सकी और फिर जब वह 14 साल की हुईं, तो उनकी शादी इब्राहिम भाई लॉबी से हो गई। शादी के बाद वह अपने पति के साथ खेती करके गुज़र बसर करती थीं।

हीराबाई, सिद्दी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो जंबूर की कुल आबादी का 98% हैं। जानकारी के लिए बता दें कि सिद्दी, अफ्रीकी जनजाति है, जिन्हें लगभग 400 साल पहले जूनागढ़ के शासक, गुलाम बनाकर भारत ले आए थे। सिद्धी जनजाति गुजरात के सबसे ज्यादा पिछड़े समुदायों में से एक है ये समुदाय दशकों तक बेहद आभावों में जीवन जी रहा है। और कभी भी किसी ने उनके उत्थान के बारे में नहीं सोचा लेकिन हिरा बाई ने अपने समुदाय के हालातों को बदलने का निर्णय किया।

हीराबाई आदिवासी महिला संघ की अध्यक्ष भी हैं। इस समूह को सिद्दी महिला संघ के नाम से भी जाना जाता है। हीराबाई, सिद्दी समाज और महिला सशक्तीकरण के लिए किए गए अपने कार्यों के मशहूर हैं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके उत्थान के लिए काफी काम किया है। उन्होंने साल 2004 में महिला विकास संघ की स्थापना की।

वह कभी किसी चुनाव में नहीं ख़ड़ी हुई लेकिन अपने काम की वजह से वह गांव की नेता के तौर पर पहचानी जाती हैं। आज हिरा बाई सौराष्ट्र के 18 गांवों में काम कर रही हैं। उन्होंने लोगों तक रोज़गार, स्वास्थ्य और पोषण पहुंचाने और जागरूकता फैलाने के लिए काफी काम किए।

हीराबाई 700 से अधिक महिलाओं और बच्चों को शिक्षित कर चुकी है इसी के साथ, रोज़गार भी दे चुकी हैं। उन्हें उनके इन कामों के लिए देश-विदेश में सम्मानित किया जा चुका है और अब उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

जब वह पुरस्कार लेने पहुंची उस समय उन्होंने प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू के कंधों पर हाथ रखा और उनके इस अंदाज़ को देख खुद राष्ट्रपति भी अपनी मुस्कुराहट को रोक न सकीं। हीरा बाई लॉबी और उनकी सादगी हम सबके लिए एक प्रेरणा है। 

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