Kalashtmi 2025 Muhurth: कलाष्टमी पर इस विधि से करें पूजा मिलेगा लाभ

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हिंदू धर्म में कालाष्टमी का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व विशेष रूप से देवी महाकाली की पूजा अर्चना से संबंधित है। हर महीने की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है, जो विशेष रूप से भक्तों के लिए उपवास, तप और ध्यान का दिन होता है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो देवी महाकाली के भक्त हैं, क्योंकि इस दिन उनकी पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालाष्टमी का पर्व तमाम देवी-देवताओं में एक विशेष स्थान रखता है, और इसे शांति, समृद्धि और आरोग्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस आर्टिकल में हम कालाष्टमी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और कालाष्टमी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी पर प्रकाश डालेंगे।

कालाष्टमी तिथि
कालाष्टमी हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे विशेष रूप से देवी महाकाली के व्रत और पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण उपवासी रहते हैं और दिनभर का उपवास रखते हुए रात को विशेष पूजा अर्चना करते हैं। कालाष्टमी की तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में आती है, लेकिन विशेष रूप से फाल्गुन मास, अश्विन मास और माघ मास की कालाष्टमी का अधिक महत्व होता है।

कालाष्टमी की पूजा विधि

स्नान और शुद्धता: पूजा करने से पहले अच्छे से स्नान करके शरीर को शुद्ध करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

मंजरी या दीप जलाएं: पूजा स्थल पर दीप जलाएं और वहां महाकाली का चित्र या मूर्ति रखें।

व्रत और उपवास: कालाष्टमी के दिन उपवास रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन विशेष रूप से निराहार व्रत रखना चाहिए।

मंत्र जाप: पूजा में ‘ॐ क्लीं कालिकायै नमः’ का जाप करें। यह मंत्र देवी महाकाली की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।

महाकाली की आरती: पूजा के बाद महाकाली की आरती करें और उन्हें पुष्प अर्पित करें।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करें।

कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त हर महीने की अष्टमी तिथि में तय होता है। यदि इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय विशेष रूप से उपयुक्त होता है, तो पूजा के समय का चुनाव इस पर निर्भर करता है। इसके अलावा रात में भी महाकाली की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि रात के समय देवी महाकाली की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पूजा के लिए विशेष मुहूर्त निम्नलिखित हो सकते हैं:
• अष्टमी तिथि का समय: अष्टमी तिथि के दौरान सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय।
• रात्रि मुहूर्त: विशेष रूप से रात्रि के समय महाकाली की पूजा करना अधिक लाभकारी माना जाता है। इस समय देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
• चंद्रोदय व चंद्रास्त: चंद्रमा की स्थिति भी पूजा के मुहूर्त को प्रभावित करती है। चंद्रोदय और चंद्रास्त के समय पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

कालाष्टमी का महत्व देवी महाकाली की पूजा: इस दिन देवी महाकाली की विशेष पूजा होती है, जो शुभ फल और मानसिक शांति देने वाली मानी जाती है।

दुष्टों का नाश: इस दिन देवी महाकाली की पूजा से सभी प्रकार के नकारात्मक शक्तियों और दुष्टों का नाश होता है।

आध्यात्मिक उन्नति: कालाष्टमी का व्रत व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। उपवास और ध्यान से आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

पापों का नाश: इस दिन देवी महाकाली की पूजा से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

कालाष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन देवी महाकाली की पूजा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की संभावना होती है। सही समय पर पूजा करने से भक्तों को देवी महाकाली का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप भी इस दिन उपवास रखते हुए पूजा करना चाहते हैं, तो इस लेख में दी गई जानकारी और शुभ मुहूर्त का पालन करें। कालाष्टमी का व्रत आपके जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति लाने में सहायक होगा।

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