Laddu Mar Holi 2025: देशभर में इस वक्त रंगों के पर्व होली की धूम है। वहीं भारत से लेकर विदेशों तक मथुरा-वृंदावन की होली मशहूर है। खास बात यह है कि यहां की होली सिर्फ गुलाल और रंगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये अनोखे अंदाज में मनाई जाती है। कृष्ण नगरी में फूलों की होली, लट्ठमार होली और लड्डू मार होली सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। होली के उत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से लोग मथुरा, बरसाना पहुंचते हैं और होली का आनंद लेते हैं।
यूं तो 2025 में इस बार होली 14 मार्च को मनाई जायेगी लेकिन बरसाना में आज यानी 7 मार्च से ही होली की शुरुआत हो चुकी है। यहां लड्डूमार होली बड़े ही उत्साह के साथ मनाई गई। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में वृंदावन और बरसाना में जमकर होली खेली जाती है. जिसमें हजारों किलों लड्डुओं की बरसात होती है, यहां के लोग होली में अपना सबकुछ छोड़कर राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं। और इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यह उत्सव श्री राधारानी मंदिर में मनाया जाता है, जहां भक्तों पर लड्डू की बारिश की जाती हैं। लोगो का मानना है कि जिसे यह लड्डू लगते हैं, वह खुद को सौभाग्यशाली मानता है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करता है। माना जाता है कि यदि किसी को साबुत लड्डू मिल जाए, उस पर राधा रानी की असीम कृपा बरसती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कैसे शुरू हुई ये परम्परा
इस अनोखी होली का संबंध द्वापर युग से जोड़ा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राधा रानी के पिता ने नंद बाबा को होली खेलने के लिए निमंत्रण भेजा था। जब नंद बाबा ने यह निमंत्रण स्वीकार किया, जिसके बाद नंद बाबा ने पुरोहितों के हाथों स्वीकृति पत्र भेजा था. बरसाना में पुरोहितों के स्वागत में गोपियों ने गुलाल लगाया और उन्हें खाने के लिए लड्डू दिए, लेकिन पुरोहितों के पास गुलाल नहीं था, इसलिए पुरोहितों ने उन पर लड्डूओं की बारिश कर दी। कहा जाता है कि तभी से लड्डू मार होली की परंपरा शुरू हुई और इसी परंपरा को बरसाना और नंदगांव के लोग आज भी उसी उत्साह के साथ आज भी निभा रहे हैं।