भारतीय सिनेमा की वो अदाकारा जिसकी हर अदा पर लोग पागल थे वो अभिनेत्री जिसने अपनी एक्टिंग का ऐसा जादू बिखेरा कि लोग सोच में पड़ जाते थे कि कहीं ये सच तो नहीं… हम बात कर रहें हैं दिग्गज अभिनेत्री नरगिस दत्त की।
हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में देने वाली नरगिस के लिए फिल्मों की लाइन लगा करती थी… ‘मदर इंडिया’, ‘श्री 420’, ‘चोरी-चोरी’, ‘अंदाज’, ‘आवारा’, ‘बरसात’, ‘आग’ समेत कई शानदार फिल्मों ने उनके करियर को शीर्ष पर पहुंचा दिया था। लगभग तीन दशक तक अभिनेत्री हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहीं।
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1 जून 1929 को कोलकाता में जन्मी नरगिस के पिता मोहन चन्द इस्लाम अपनाकर अब्दुल राशिद बन गए थे। वहीं नरगिस का असली नाम फ़ातिमा रशिद था। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नरगिस ने अपने करियर की पहली सीढ़ी चढ़ी थी। उनकी पहली फिल्म ‘तलाश-ए-हक’ थी। इस फिल्म में नरगिस के काम को काफी सराहना मिली थी।
पहली बार बतौर लीड एक्ट्रेस नरगिस ने ‘तमन्ना’ फिल्म में काम किया। जोकि 1942 में रिलीज हुई। नरगिस हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार एक्टिंग के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी पॉपुलर थीं।
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पर्सनल लाइफ की बात करें तो 1958 में नरगिस ने अभिनेता सुनील दत्त से शादी कर ली और एक्टिंग से दूरी बना ली। सुनील दत्त और उनके तीन बच्चे प्रिया, नम्रता और संजय दत्त थे। खुशहाल परिवार ..प्यारे-प्यारे बच्चों के साथ नरगिस अपना जीवन बिता रही थी लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। नरगिस को कैंसर हो गया जिसकी वजह से वो बिमार रहने लगी.. और 1981 में उनकी मृत्यु हो गई। 1982 में उनकी मौक के एक साल बाद, सुनील दत्त ने उनकी याद में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की थी।
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नरगिस की उपलब्धियों की बात करें तो राज्यसभा के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री नरगिस दत्त थीं।
वह पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मदर इंडिया के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था। 1970 में, नरगिस द स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की पहली संरक्षक बनाई गई। उन्होंने संगठन के साथ मिलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया।