स्क्वैश एक ऐसा खेल है जो तेजी, फुर्ती और रणनीति का अनूठा संगम है। इस खेल में भारत का नाम रोशन करने वाली युवा खिलाड़ी अनाहत सिंह ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से न केवल देश का गौरव बढ़ाया, बल्कि विश्व पटल पर एक नया इतिहास भी रचा। कम उम्र में ही अनाहत ने कई बड़े खिताब अपने नाम किए और स्क्वैश की दुनिया में भारत को एक मजबूत पहचान दिलाई।
अनाहत सिंह का प्रारंभिक जीवन
अनाहत सिंह का जन्म 13 मार्च 2008 को दिल्ली में हुआ। उनके परिवार में खेल के प्रति शुरू से ही गहरा लगाव रहा। उनके माता-पिता, गुरशरण सिंह (वकील) और तानी सिंह (इंटीरियर डिजाइनर), दोनों ने अपनी युवावस्था में हॉकी खेली थी। अनाहत की बड़ी बहन अमीरा भी एक कुशल स्क्वैश खिलाड़ी हैं, जो वर्तमान में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की टीम के लिए खेलती हैं। अनाहत ने छह साल की उम्र में बैडमिंटन से अपने खेल करियर की शुरुआत की, लेकिन बाद में स्क्वैश की ओर रुख किया और यहीं से उनकी ऐतिहासिक यात्रा शुरू हुई।
स्क्वैश में कदम और पहली सफलता
अनाहत ने आठ साल की उम्र में स्क्वैश को गंभीरता से लेना शुरू किया। उनकी प्रतिभा तब सामने आई जब उन्होंने 2019 में ब्रिटिश जूनियर ओपन में अंडर-11 वर्ग का खिताब जीता। यह उनकी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय सफलता थी। इसके बाद, 2021 में उन्होंने जूनियर यूएस ओपन स्क्वैश टूर्नामेंट के अंडर-15 वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल कर इतिहास रच दिया। इस जीत ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक उभरती हुई सनसनी के रूप में स्थापित किया।
ऐतिहासिक उपलब्धियाँ
अनाहत सिंह ने स्क्वैश की दुनिया में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
कॉमनवेल्थ गेम्स की सबसे युवा खिलाड़ी: 2022 में बर्मिंघम में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में अनाहत ने 14 साल की उम्र में हिस्सा लिया और भारत की सबसे कम उम्र की प्रतिनिधि बनने का गौरव हासिल किया।
ब्रिटिश जूनियर ओपन अंडर-17 चैंपियन: जनवरी 2025 में अनाहत ने ब्रिटिश जूनियर ओपन अंडर-17 का खिताब जीतकर एक और इतिहास रचा। फाइनल में उन्होंने मिस्र की मलिका अल काराक्सी को 3-2 से हराया।
एशियन गेम्स में दो कांस्य पदक: 2023 हांगझोऊ एशियन गेम्स में अनाहत ने महिला टीम और मिश्रित युगल स्पर्धा में दो कांस्य पदक जीते। इस दौरान वे सबसे कम उम्र की भारतीय पदक विजेता भी बनीं।
यूरोप, एशिया और भारत की नंबर 1: 2020 में अनाहत अंडर-13 वर्ग में यूरोप, एशिया और भारत की शीर्ष जूनियर खिलाड़ी बन गईं, जो उनकी असाधारण प्रतिभा का प्रमाण है।
अनाहत की खेल शैली और प्रेरणा
अनाहत की खेल शैली में तेजी, सटीकता और मानसिक मजबूती का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है। वे कोर्ट पर अपनी फुर्ती और रणनीतिक सोच के लिए जानी जाती हैं। उनकी प्रेरणा का स्रोत बैडमिंटन स्टार पी.वी. सिंधु हैं, जिनकी सफलता ने उन्हें खेल की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। अनाहत का सपना विश्व चैंपियन बनने और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का है, खासकर अब जब स्क्वैश को 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में शामिल किया गया है।
भारत में स्क्वैश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना
अनाहत सिंह ने न केवल व्यक्तिगत स्तर पर सफलता हासिल की, बल्कि भारत में स्क्वैश की लोकप्रियता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रदर्शन ने युवा खिलाड़ियों को इस खेल की ओर आकर्षित किया है। साथ ही, उनकी उपलब्धियों ने भारतीय स्क्वैश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान दिलाई है।
अनाहत सिंह एक ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से स्क्वैश की दुनिया में भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा। उनकी यात्रा अभी शुरू हुई है, और आने वाले समय में वे और भी बड़े कीर्तिमान स्थापित करने की क्षमता रखती हैं। अनाहत न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि एक प्रेरणा हैं जो यह साबित करती हैं कि उम्र महज एक संख्या है, जब बात सपनों को सच करने की हो।