13 साल की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखने वाली वो मशहूर अभिनेत्री जिसने 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड को बेहतरीन फिल्में दी, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्होंने अपने फिल्मी करियर से दूरी बनाकर एक नेता बनने का फैसला किया। आज हम आपको जिस अभिनेत्री के बारे में बताने जा रहे हैं उनकी जिंदगी भी फिल्मी कहानी की तरह रोमांस, एक्शन, ड्रामा से भरपूर रही। हम बात कर रहे हैं खूबसूरत अदाकारा और राजनेता जयाप्रदा की।
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3 अप्रैल 1962 को आंध्र प्रदेश में जन्मी जयाप्रदा का असली नाम ललिता रानी था। जयाप्रदा के पिता कृष्णा राव तेलुगू फिल्मों के फाइनेंसर थे। 13 साल की उम्र में जब जया अपने स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम में एक डांस परफॉर्म कर रही थी। तब एक फिल्म निर्देशक की नजर जया पर पड़ी जिन्होंने जया को अपनी तेलुगू फिल्म ‘भूमि कोसम’ में एक सीन का ऑफर किया। और यहां से जया के फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। भूमि कोसम में उन्होंने तीन मिनट का डांसिंग सीन किया जिसके लिए उन्हें मात्र 10 रुपये मिले थे।
जया प्रदा ने 200 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया। उस दौर के लगभग सभी बड़े सितारों के साथ जया प्रदा बड़े पर्दे पर नजर आईं। जितेंद्र और अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी को लोगों ने खूब प्यार दिया।
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साल 2002 में आधार फिल्म से जया प्रदा ने मराठी फिल्म जगत में एंट्री की। उन्होंने लगभग सात भाषाओं में फिल्में की हैं। इतना ही नहीं जया प्रदा चेन्नई में एक थियेटर की मालकिन भी हैं।
भले ही जया प्रदा ने अपने करियर में खूब सफलता पाई हो लेकिन उनके निजी जीवन में उतार चढ़ाव बना रहा। अपने करियर के चरम पर जयाप्रदा ने साल 1986 में श्रीकांत नहाटा से शादी कर ली। चौकाने वाली बात यह थी कि जिस शख्स से जयाप्रदा ने शादी की थी वह पहले से शादीशुदा था। श्रीकांत नहाटा ने जया से शादी के बाद भी अपनी पहली बीवी से बच्चे पैदा किए। जया के पति अपनी पहली बीवी के साथ खुशी खुशी अपने तीन बच्चों के साथ रहते थे। वहीं जया प्रदा की कोई संतान नहीं थी। वह बाद में श्रीकांत से नहाटा से अलग हो गईं।
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1994 में जयाप्रदा तेलुगू देसम पार्टी में शामिल हो गईं। हालांकि साल 2000 में जयाप्रदा तेदेपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुई। कहा जाता है कि सपा में जयाप्रदा को लाने का श्रेय अमर सिंह को जाता है। जया और अमर सिंह की दोस्ती भी राजनीतिक गलियारे में लगातार बनी रहती थी। जब अमर सिंह सपा से अलग हुए तो जयाप्रदा ने भी पार्टी छोड़ दी और लोकदल पार्टी में शामिल हो गईं। हालांकि बाद में वह फिर समाजवादी पार्टी में आ गईं।