
गाँवों की बात की जाये तो हर किसी के मन में एक सुकून भरी छवि सामने आती है। हरियाली से घिरे घर, खेतों में लहराती फसलें और शांत वातावरण। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे रहस्यमय और वीरान गाँव के बारे में सुना है जहाँ जाने पर आपको डर और रोमांच, दोनों ही महसूस हो ? आज आपको बताएँगे एक ऐसे गाँव की कहानी जो प्रयागराज के निकट स्थित है।

क्योटी किले के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इस किले के निर्माण में हजारों श्रमिकों ने दिन-रात मेहनत की थी। किला बनाने के दौरान, एक मजदूर अपनी पत्नी और बच्चे को भी साथ लाया था। लेकिन काम की अधिक व्यस्तता के कारण, वह उनकी देखभाल नहीं कर पाता। एक दिन, जब वह काम से लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी और बच्चा लापता हैं। उसने हर जगह उनकी तलाश की, लेकिन वे कहीं नहीं मिले।
दुखी होकर उसने काम छोड़ दिया और किले से दूर चला गया। कुछ दिनों बाद, वह वापस आया और किले के एक कोने में उसकी पत्नी और बच्चे के अवशेष मिले। इस दुखद घटना के बाद से, लोगों ने मानना है क़ि यहां भूतों की आत्माएं भटकती हैं। आज भी, रात के समय किले के आसपास आवाजें सुनाई देती हैं।

क्योटी गाँव और किला अपनी डरावनी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस इलाके की सबसे बड़ी खूबसूरती है क्योटी झरना। यह भारत का 22वां सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी ऊंचाई 322 फीट है। क्योटी झरना एक विशाल घाटी में स्थित है। घाटी के एक तरफ यह उँचे पहाड़ी से गिरता प्रवाह है, जिसकी आवाज सुनकर ही दिल थरा उठता है। वहीं दूसरी तरफ घाटी में एक गहरी खाई है जिसकी गहराई देखकर सिर चकरा जाता है। क्योटी झरने तक पहुंचना आसान नहीं है।

अगर आप भी क्योटी गाँव की यात्रा करने का मन बना रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियाँ बरतनी होगी। सबसे पहले, सूरज ढलने से पहले ही आपको वहाँ से निकल जाना चाहिए, क्योंकि रात में वहाँ रहना खतरनाक हो सकता है। साथ ही, अकेले न जाएं, बल्कि कई लोगों के साथ जाएं। किले के भीतर जाने की भी सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि वहाँ लूटपाट की घटनाएं भी सुनी जाती हैं।

क्योटी गाँव और उसके आसपास के इलाके में एक रहस्यमय और रोमांचकारी इतिहास है। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और दुर्लभ वास्तुकला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। लेकिन साथ ही, इस जगह से जुड़े कुछ डरावने किस्से और सावधानियाँ भी हैं। इसलिए अगर आप यहाँ घूमने आना चाहते हैं, तो उचित उपायों का पालन करना न भूलें।