भारत में ऐसे हज़ारों मंदिर मौजूद हैं, जहां चमत्कार होते हैं, जिसमें से एक कामाख्या देवी का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर है। यह मंदिर अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित यह शक्तिपीठ नीलांचल पर्वत से 10 किलोमीटर दूर है।

इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अम्बे की कोई मूर्ति या चित्र आपको नहीं दिखाई देगा। इस मंदिर में एक कुंड बना है जो की हमेशा फूलों से ढ़का रहता है। इस कुंड से हमेशा ही जल निकलता रहता है। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातें…
कैसे हुई मंदिर की स्थापना
पुराणों के अनुसार, भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां-जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया। इस जगह पर माता की योनी गिरी थी, इसलिए यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं बल्कि योनी की पूजा होती है। और योनी भाग के यहां होने से माता यहां रजस्वला भी होती हैं। आज यह जगह शक्तिशाली पीठ है।
तीन दिन क्यों बंद रहता है मंदिर
कामाख्या देवी का मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है। कहा जाता है कि इन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों में पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। कहते हैं कि इन 3 दिनों में माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।
तीन बार दर्शन क्यों जरुरी
मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर के दर्शन तीन बार कर कर लेता है, तो उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए मशहूर है। इसलिए दूर दूर से साधु संत भी यहां दर्शन के लिए आते हैं।

यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण जगह है। कहते हैं अगर किसी पर काला जादू हो, तो मंदिर में मौजूद अघोरी और तांत्रिक इसे उतार देते हैं। इतना ही नहीं, यहां काला जादू किया भी जाता है।