
“पिता और बेटी” एक ऐसा बंधन जो हमेशा सुख और दुःख से बंधा रहता है। तो हम बात करे रहें हैं इंदौर की एक बेटी की, जिसने अपने पिता को नई जिंदगी दे दी। इंदौर के बेटमा निवासी शिवनारायण बाथम पिछले 6 वर्ष से लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों ने 2 माह पहले परिवार वालों से कह दिया था कि उन्हें लिवर प्रत्यारोपड़ कराना पड़ेगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने नाबालिक बेटी की गुहार स्वीकार करते हुए उसे बीमार पिता को अपना लिवर दान करने की अनुमति दे दी है।
वहीं कोर्ट ने आदेश दिया कि पूरी सावधानी बरतते हुए जल्द से जल्द ऑपरेशन किया जाना चाहिए। बेटी नाबालिग थी, इसलिए तमाम अचड़ने भी आई, मामला कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन आखिरकार जिंदगी और उम्मीद दोनों की जीत हुई।
गुरुवार को दिन में हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी को लिवर डोनेशन की अनुमति दे दी और देर रात डाक्टरों ने सर्जरी कर बेटी के शरीर से लिवर का कुछ हिस्सा निकालकर पिता के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया। दोनो फिलहाल अब अस्पताल में है। डॉक्टरों का कहना है कि पिता शिवराम का लिवर खराब हो चुका था, उन्हें कोई डोनर भी नहीं मिल रहा था। पांच बेटियों में से बड़ी बेटी प्रीति लिवर देना चाहती थी, लेकिन नाबालिग होने के कारण डाक्टरों ने कोर्ट से अनुमति की बात कही ।
13 दिन तक मेडिकल बोर्ड, शासन और कोर्ट की अनुमति के कारण सर्जरी नहीं हो पाई, लेकिन परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद गुरुवार को रात ९ बजे सर्जरी की तैयारी हुई। और दोपहर मे बेटी और पिता की सभी जांचे की गई। रात को आपरेशन शुरू हुआ, जो रात दो बजे तक चला। शुक्रवार सुबह डाक्टरों ने दोनो का चेकअप किया और बताया पिता की हालत ठीक है। डाक्टरों का कहना है कि बेटी के लिवर का केवल कुछ ही हिस्सा ट्रांसप्लांट किया है। इससे भविष्य में उसे कोई परेशानी नहीं होगी।