‘कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों’ दुष्यंत कुमार की यह कविता हर उन UPSC के उम्मीदवार पर सटीक बैठती है, जो अपने कड़े प्रयासों से इस परीक्षा में सफलता हासिल कर अपना IAS या IPS बनने का सपना पूरा करता है। ऐसा ही कुछ सफर रहा आईएएस इरा सिंघल का। इन्होंने बेशक अपने पहले प्रयास में सफलता हासिल कर ली, लेकिन उन्हें अपने दिव्यांग होने के कारण UPSC में सफल होने के बाद भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
देश के सबसे बड़े राज्य ‘उत्तर प्रदेश’ के मेरठ की रहने वाली आईएएस इरा सिंघल बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। लेकिन इरा बचपन से ही स्कोलियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में जहां लोग आम लोगों की तरह जीना ही छोड़ देते है, वहीं इरा ने इस बिमारी से हार न मानने की कसम खाई।
फिर क्या था इरा सिंघल ने आईएएस अफसर बनने ठाना । लेकिन यह सफर इरा के लिए इतना असान नहीं था। साल 2010 में इरा सिंघल ने अपना UPSC का पहला अटेम्प्ट दिया। अपने पहले ही अटेम्प्ट में इरा सफल रही, लेकिन इससे उनका IAS बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। जिसके बाद इरा ने साल 2011 और 2013 में भी प्रयास किया लेकिन इस बार भी उन्हें IRS की पोस्टिंग दी गई। लेकिन इसमें भी वह काम नहीं कर सकती थी, क्योंकि इरा 62% लोकोमोटर विकलांग थी, जिस वजह से उन्हें पोस्ट ज्वाइन नहीं करने दिया गया।
इन सभी परेशनियों से इरा ने हार नहीं मानी और उन्होंने आयोग के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में मुकदमा दायर कर दिया। लेकिन यह काम भी इतना असान नहीं था, इसके लिए भी उन्हें बहुत धैर्य और संघर्षों का सामना करना पड़ा।साल 2014 में इरा अपने मेन्स परीक्षा की तैयारियों में लगी हुई थी कि उससे पहले ही उनके केस का फैसला आ गया, जिसमें उन्हें सफलता मिली। इसके साथ ही इरा ने साल 2014 की UPSC परीक्षा में सामान्य श्रेणी में टॉप रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाली इरा सिंघल पहली विकलांग उम्मीदवार थी, जिसने सामान्य वर्ग से पहली रैंक हासिल की।