कभी माँ की गोद में जन्नत मिली, तो कभी पापा की उँगलियों में रास्ता।
कभी माँ की लोरी में नींद मिली, तो कभी पापा की चुप्पी में सुरक्षा। वे हमारे पहले दोस्त, पहले टीचर, पहले सुपरहीरो होते हैं। Parents Day सिर्फ एक तारीख नहीं — ये वो एहसास है, जो रोज़ जीना चाहिए। क्योंकि माँ-पापा वो किताब हैं, जो बिना बोले हर सबक सिखा देते हैं। तो इस बार कोई महंगा गिफ्ट नहीं… बस उनके साथ बैठकर चाय पीजिए, बचपन की तस्वीरों के साथ उनकी आंखों में चमक लाइए,
और कहिए —आपके बिना मैं कुछ भी नहीं, और आपके साथ सब कुछ हूं!”
जब हम दुनिया में पहली बार आंखें खोलते हैं, तो सबसे पहले जिन चेहरों की मुस्कान हमें मिलती है – वो हैं माँ और पापा।
माँ – जो बिना कहे हर दर्द समझ जाती है।
पापा – जो बिना जताए हर मुश्किल से लड़ जाते हैं।
बचपन में जब हमने गिरना सीखा, तो माँ ने गोद में उठाया और पापा ने उंगली थामकर चलना सिखाया।
जब पहली बार स्कूल गए, तो माँ ने रूमाल में प्यार बांधा और पापा ने छुपकर आंसू पोंछे।
“पैरेंट्स डे” कोई त्योहार नहीं – ये एहसास है।
उनके निस्वार्थ प्रेम, त्याग और समर्पण को सलाम करने का दिन।