
आजकल अर्ली ऐज पीरियड की समस्या काफी ज्यादा बच्चियों में देखने को मिल रही है। लड़कियों में पीरियड्स आना एक आम बात है, लेकिन अगर यह छोटी उम्र में ही शुरू हो जाए तो इसे चिंता का विषय माना जाता है। जहां पीरियड्स 11 से 15 वर्ष की उम्र में शुरू होते थे, वहीं आजकल कई लड़कियों को उनका पहला पीरियड महज 9 साल की छोटी सी उम्र में ही आ जाता है, यह आगे चलकर लड़कियों की सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और आज कल के पेरेंट्स को क्या करना चाहिए,
अर्ली ऐज पीरियड्स के कुछ सामान्य कारण

रिसर्चर की मानें तो लड़कियों में इतनी जल्दी पीरियड्स आने की कोई एक वजह नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वजहें हैं, जिन्हें पेरेंट्स के लिए समझना बहुत जरूरी है
खानपान का भी पड़ता है असर
स्टडी के अनुसार, जो बच्चे 3 से 5 साल की उम्र में प्लांट प्रोटीन की तुलना में एनिमल प्रोटीन का ज्यादा सेवन करते हैं उनमें अर्ली ऐज पीरियड्स की समस्या काफी मात्रा में देखने को मिलता है। माता पिता की इन गलतियों की वजह से बच्चियों को कम उम्र में ही पीरियड्स की समस्या से होकर गुजरना पड़ता है।
शरीर में बढ़ती फैट की मात्रा
आजकल की लाइफस्टाइल पूरी तरह बदल चुकी है। छोटी उम्र से ही बच्चों को प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड दिए जाते हैं। जिस वजह से उनके शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है। और शरीर में जमे फैट बॉडी में एस्ट्रोजन की मात्रा को बढ़ा देते हैं। ऐसे में 12 साल की उम्र से पहले ही बच्चियों को पीरियड का सामना करना पड़ता है।
स्ट्रेसफुल वातावरण भी होता है एक कारण
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के एक स्टडी ने कम उम्र में पीरियड आने का एक कारण ‘स्ट्रेसफुल लाइफ’ को भी बताया है। घर का माहौल खराब होने के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा फर्क पड़ता है। ऐसे में यह न केवल आपके मानसिक हेल्थ को बल्कि फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित करता है।
केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स भी एक कारण
आजकल के बच्चे शुरुआत से हीं तरह तरह के केमिकल युक्त पदार्थों के संपर्क में आ जाते हैं। फिर चाहे वह फ़ूड प्रोडक्ट हो, दवाइयां हों या उनके बॉडी केयर प्रोडक्ट्स हों। यह केमिकल शरीर में मौजूद जिनोएस्ट्रोजन को बढ़ा देते हैं। जिस वजह से लड़कियों में कम उम्र में ही पीरियड्स आने की संभावना बनी रहती है।
क्या उपाय कर सकते हैं पेरेंट्स

माता-पिता को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए, कि अपने बच्चे को बचपन से ही एक हेल्दी डाइट दें और उन्हें जंक फूड, प्रोसेस, फ़ास्ट फ़ूड, इत्यादि से दूर रखें।
अपने बच्चों को एक हेल्दी और हैप्पी एनवायरनमेंट देने की कोशिश करें। खासकर घर के परिवारिक माहौल को अच्छा रखें। क्योंकि एक खराब वातावरण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
साथ ही माता-पिता को अपने बच्चों को पहले से ही इसकी जानकारी देनी शुरू कर देनी चाहिए, जिससे वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें।