दीपिका म्हात्रे मुंबई की एक घरेलू सहायिका थीं। सुबह 4 बजे उठकर लोकल ट्रेन में आर्टिफीसियल ज्वेलरी बेचतीं और फिर दिनभर कई घरों में खाना पकाने का काम करती थीं। लेकिन रात होते-होते, वही दीपिका स्टेज पर खड़ी होकर अपने जीवन के अनुभवों को कॉमेडी में बदल देती थीं।
उनका पहला स्टैंड-अप एक्ट एक बिल्डिंग के घरेलू सहायकों के लिए आयोजित टैलेंट शो में हुआ, जहां उन्होंने “बाई” के जीवन पर आधारित मज़ेदार बातें कहीं। उनके प्रदर्शन ने पत्रकार और जानी-मानी कॉमेडियन अदिति मित्तल का ध्यान खींचा, जिन्होंने उन्हें मार्गदर्शन दिया और धीरे-धीरे दीपिका मुंबई की ओपन माइक सर्किट और टीवी शोज़ में नज़र आने लगीं।
जीरो से हीरो बन जाने तक का सफर :-
दीपिका महात्रे ने बता दिया की सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती,बस हौसला ज़िंदा होना चाहिए।
गिरते रहो, सीखते रहो एक दिन उड़ना अपने आप आ जाएगा।
ख़ासियत :-
The Better India, Asian Age, Khaleej Times, और Reuters जैसी कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने उनकी सराहना की है।
वे केवल एक कॉमेडियन नहीं हैं, बल्कि घरेलू सहायिकाओं के अधिकारों और सम्मान की सशक्त आवाज़ बन चुकी हैं।
India’s Got Talent जैसे रियलिटी शोज़ में दिखाई दी हैं।वे मराठी प्रोग्राम्स और Bad Girls जैसे वेब शो में भी नजर आ चुकी हैं।