अगर आप भी बच्चे की परवरिश के खर्चों से जूझ रहे हैं तो अब आपके लिए राहत भरी खबर है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में बच्चों से जुड़ी आवश्यक वस्तुओं को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। अब बेबी फीडिंग बोतल और डायपर पर जीएसटी दर घटाकर 12% से 5% कर दी गई है। इस फैसले से लाखों परिवारों को हर महीने होने वाला अतिरिक्त खर्च कम होगा और बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना पहले से आसान हो जाएगा।
जीएसटी काउंसिल का निर्णय क्यों अहम है?
भारत में बच्चों के डायपर और फीडिंग बोतल की खपत बहुत अधिक है। हर घर में शिशु के जन्म के बाद यह दोनों चीजें रोज़ाना की ज़रूरतों में शामिल हो जाती हैं। लेकिन लगातार बढ़ती कीमतों के कारण मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों को भारी बोझ उठाना पड़ रहा था। सरकार को यह महसूस हुआ कि बच्चे की बुनियादी देखभाल से जुड़ी वस्तुओं पर ऊंची दर से टैक्स लगाना माता-पिता पर अनुचित बोझ डालता है। यही कारण है कि 56वीं बैठक में इन वस्तुओं पर टैक्स कम करने का निर्णय लिया गया।
डायपर और बोतल क्यों जरूरी हैं?
डायपर: बच्चे को सूखा रखने और उसकी नींद में बाधा न आने के लिए डायपर का उपयोग किया जाता है। यह पैरेंट्स के लिए सुविधा के साथ-साथ बच्चे की सेहत के लिए भी आवश्यक हो गया है।
फीडिंग बोतल: जिन बच्चों को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता, उनके लिए बोतल से दूध या फॉर्मूला फीडिंग दी जाती है। यह वस्तु हर घर में जरूरी बन चुकी है।
अब कितना होगा फायदा?
मान लीजिए कि डायपर का एक पैकेट 500 रुपये में मिलता था, जिस पर पहले 12% जीएसटी लगता था। यानी कुल कीमत 560 रुपये पड़ती थी। अब 5% जीएसटी के बाद वही पैकेट करीब 525 रुपये का मिलेगा। इसी तरह बोतलें भी सस्ती हो जाएंगी। छोटा सा यह फर्क महीने के खर्च में पैरेंट्स को बड़ी राहत देगा।
डॉक्टर संदीप गुप्ता के डायपर केयर टिप्स
जीएसटी घटने के बाद डायपर भले ही सस्ते हो जाएं, लेकिन बच्चों की स्किन पर रैश की समस्या सबसे आम है। इस विषय पर पीडियाट्रिशन डॉ. संदीप गुप्ता ने पैरेंट्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं:
- डायपर का सही साइज चुनें
अक्सर पैरेंट्स बच्चे के वजन से छोटे डायपर का चुनाव कर लेते हैं। इससे स्किन पर घर्षण और रैश हो सकते हैं।
उदाहरण: अगर बच्चे का वजन 8 किलो है, तो 5-8 किलो वाला नहीं बल्कि 8-12 किलो वाला डायपर चुनें।
- हर तीन घंटे में डायपर चेक करें
लंबे समय तक गीले डायपर में रहने से बच्चे की स्किन पर इंफेक्शन और रैश हो जाते हैं। डॉक्टर के अनुसार, हर तीन घंटे में डायपर जरूर चेक करना चाहिए।
- समय-समय पर बच्चे को बिना डायपर रखें
दिन में कुछ देर बच्चे को बिना डायपर के रखने से उसकी स्किन को हवा मिलती है और रैश की समस्या कम होती है।
- नारियल तेल का उपयोग करें
बच्चे की स्किन पर नारियल का तेल लगाने से नमी बनी रहती है और रैश से बचाव होता है।
- बेहतर क्वालिटी के डायपर चुनें
सस्ती क्वालिटी के डायपर बच्चों की स्किन पर ज्यादा असर डाल सकते हैं। इसलिए अच्छे ब्रांड और स्किन-फ्रेंडली डायपर का चुनाव करें।
माता-पिता की आर्थिक राहत
इस फैसले से शहरी और ग्रामीण दोनों ही परिवारों को फायदा होगा। खासकर वे परिवार जिनकी मासिक आय सीमित है और बच्चों की जरूरतें पूरी करने में दिक्कत होती है। सरकार का यह कदम बच्चों की स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ी चीजों को ज्यादा सुलभ बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह फैसला न केवल परिवारों को आर्थिक राहत देगा बल्कि बाजार में डायपर और बेबी बोतल की खपत को भी बढ़ाएगा। इससे कंपनियों को भी फायदा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
डायपर और बोतल पर टैक्स घटाने का फैसला पैरेंट्स के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। बच्चे की परवरिश में जहां भावनात्मक जुड़ाव सबसे बड़ी ताकत है, वहीं आर्थिक राहत माता-पिता के तनाव को काफी हद तक कम करती है। सरकार ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि बच्चों की जरूरतें सिर्फ परिवार नहीं, बल्कि देश के लिए भी प्राथमिकता होनी चाहिए।