गर्भावस्था से लेकर डिलीवरी तक का सफर किसी भी महिला के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इस दौरान जहां परिवार का सहयोग महत्वपूर्ण होता है, वहीं पति का साथ मानसिक और भावनात्मक रूप से महिला को मजबूत बनाए रखने में सबसे अहम भूमिका निभाता है। लेकिन कई बार पति की कुछ आदतें नई मांओं को मानसिक तनाव देने लगती हैं। यही नहीं, ये आदतें डिलीवरी के बाद होने वाले पोस्टपार्टम डिप्रेशन को भी बढ़ा सकती हैं।
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. उपासना सेतिया ने उन आदतों के बारे में विस्तार से बताया है, जो नई मांओं को परेशान कर सकती हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं।
गर्भावस्था और डिलीवरी: महिला के लिए बड़ा इम्तिहान
डिलीवरी के समय महिला के शरीर और मन दोनों में बड़े बदलाव आते हैं। हार्मोनल फ्लक्चुएशन, नींद की कमी, और नवजात की जिम्मेदारी जैसी परिस्थितियां उसे पहले से ही थका देती हैं। ऐसे में पति का सहयोग उसे सहारा देता है। यदि इस दौरान पति भावनात्मक रूप से सपोर्टिव न हों तो महिला को यह सफर और कठिन लग सकता है।
डॉ. उपासना सेतिया का बयान
डॉ. उपासना सेतिया के मुताबिक, “डिलीवरी के बाद महिला को मानसिक सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। कई बार पति अनजाने में ऐसी बातें या व्यवहार कर जाते हैं जो नई मांओं को भीतर ही भीतर तोड़ने लगते हैं। इससे पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है।”
पतियों की ये आदतें बन सकती हैं तनाव की वजह
- मदद न करना
नई मांओं के लिए रात-दिन नवजात की देखभाल करना आसान नहीं होता। ऐसे में पति का घर या बच्चे की देखभाल में हाथ न बंटाना, महिला के तनाव को बढ़ा देता है।
- भावनाओं को न समझना
कई पति महिला की भावनाओं को ‘मूड स्विंग’ मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन इस समय उन्हें संवेदनशील होकर पत्नी की बात सुननी चाहिए।
- तुलना करना
डॉ. सेतिया के अनुसार, इस समय किसी अन्य महिला या रिश्तेदार से तुलना करना नई मां को हीनभावना दे सकता है और आत्मविश्वास कम कर देता है।
- स्वास्थ्य संबंधी लापरवाही
कई पति पत्नी के खानपान और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते। डिलीवरी के बाद पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद और मानसिक शांति बेहद जरूरी है।
- निजी स्पेस न देना
नई मांओं को खुद को संभालने के लिए समय चाहिए होता है। पति द्वारा बार-बार दवाब डालना या उनकी जरूरतों को न समझना तनाव को और बढ़ा देता है।
डॉ. उपासना सेतिया की सलाह
- भावनात्मक सपोर्ट दें: पत्नी को बिना जज किए सुनें और उनका साथ दें।
- घर के काम में मदद करें: बच्चे की देखभाल या घरेलू कार्यों में हाथ बंटाएं।
- सराहना करें: उनके प्रयासों की तारीफ करें और उन्हें आत्मविश्वास दिलाएं।
- समय दें: पत्नी को आराम और रिकवरी के लिए समय दें।
- पेशेवर मदद लें: अगर डिप्रेशन के लक्षण दिखें तो डॉक्टर या काउंसलर से सलाह लें।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है?
डिलीवरी के बाद हार्मोनल बदलाव और तनाव के कारण कई महिलाओं को उदासी, चिड़चिड़ापन, नींद न आना और आत्मग्लानि जैसी भावनाएं महसूस होती हैं। अगर ये भावनाएं लंबे समय तक रहें तो इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। यह महिला और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
नई मांओं के लिए टिप्स
- अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं, पति और परिवार से शेयर करें।
- अगर जरूरत लगे तो डॉक्टर से मदद लें।
- हेल्दी डाइट, पर्याप्त नींद और हल्की कसरत अपनाएं।
समाज के लिए संदेश
नई मां को केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि भावनात्मक सहारे की भी जरूरत होती है। पति, परिवार और समाज की जागरूकता से ही महिलाओं का यह सफर आसान हो सकता है।