कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों और सपनों की उड़ान में जुनून हो, तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं होती। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी शख्सियत की, जिनकी कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है। ये कहानी है अरुणाचल प्रदेश की बेटी हिलांग याजिक की, जिनकी मेहनत और जज्बे ने न सिर्फ उनके गांव बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया।
हाल ही में भूटान की राजधानी थिंपू में आयोजित 15वीं साउथ एशियन बॉडीबिल्डिंग एंड फिजिक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में हिलांग ने भारत के लिए गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। ये प्रतियोगिता 11 जून से 15 जून 2025 तक चली, जिसमें साउथ एशिया के कई देशों के टॉप एथलीट्स ने हिस्सा लिया। लेकिन जब भारतीय ध्वज थिंपू के आसमान में लहराया, तो उसकी वजह थी हिलांग की जबरदस्त परफॉर्मेंस।

एक छोटे गांव से शुरू हुआ बड़ा सपना
हिलांग याजिक का जन्म अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ। वहां की सीमित सुविधाएं और समाज की पारंपरिक सोच ने हिलांग के लिए रास्ता आसान नहीं बनाया। जहां एक तरफ गांव की लड़कियां पारंपरिक कामों में व्यस्त रहती थीं, वहीं हिलांग का दिल फिटनेस और खेलों में बसता था। बचपन से ही उन्हें वर्कआउट, रनिंग और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज़ का शौक था।
लेकिन बॉडीबिल्डिंग… वो भी एक लड़की के लिए? समाज की सोच इससे ज्यादा सख्त हो नहीं सकती थी। लोग ताने मारते, कहते कि ये लड़कियों का काम नहीं है। लेकिन हिलांग ने इन सब बातों को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने खुद से वादा किया कि चाहे रास्ता जितना भी कठिन क्यों न हो, वो कभी हार नहीं मानेंगी।
संघर्ष की शुरुआत
शुरुआत में जिम जाने के लिए उन्हें घंटों पैदल चलना पड़ता था। महंगी डाइट और सप्लीमेंट्स उनके लिए सपने जैसे थे। लेकिन हिलांग ने घरेलू खाने से ही अपनी न्यूट्रिशन जरूरतें पूरी कीं, खुद यूट्यूब से वर्कआउट वीडियोज देख-देखकर ट्रेनिंग की। धीरे-धीरे उनका शरीर एक एथलीट की तरह आकार लेने लगा।
उनकी मेहनत रंग लाने लगी और स्टेट लेवल पर कई प्रतियोगिताएं जीतने के बाद, उन्होंने नेशनल लेवल में भी नाम कमाया। लेकिन हिलांग की असली मंजिल इंटरनेशनल स्टेज थी।
थिंपू में स्वर्णिम लम्हा
जब भूटान में साउथ एशियन चैंपियनशिप की घोषणा हुई, तो हिलांग ने खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया। कड़ी ट्रेनिंग, सख्त डाइट, और मानसिक फोकस के साथ उन्होंने स्टेज पर कदम रखा। जब उन्होंने अपनी परफेक्ट बॉडी लाइनिंग, स्ट्रॉन्ग पोजिंग और कन्फिडेंस के साथ प्रस्तुति दी, तो जजेस के साथ-साथ दर्शक भी हैरान रह गए।
प्रतियोगिता के अंत में जब उनका नाम गोल्ड और सिल्वर मेडल विजेता के तौर पर घोषित हुआ, तो पूरा भारत खुशियों से झूम उठा। सोशल मीडिया पर #HilangYajik ट्रेंड करने लगा। न्यूज चैनल्स और फिटनेस मैगजीन्स में उनकी तस्वीरें छपने लगीं।
सोशल मीडिया की स्टार
आज हिलांग सिर्फ एक बॉडीबिल्डिंग चैंपियन नहीं, बल्कि सोशल मीडिया आइकन भी बन चुकी हैं। इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स उनकी फिटनेस जर्नी, वर्कआउट वीडियोज, डाइट टिप्स और मोटिवेशनल पोस्ट्स का इंतजार करते रहते हैं। लोग उन्हें प्यार से “फिटनेस क्वीन ऑफ नॉर्थईस्ट” और “मसल्स विद ग्रेस” जैसे नामों से बुलाते हैं।
उनका फैशन सेंस भी कमाल का है। चाहे वो जिम आउटफिट हो, कैजुअल लुक हो या फिर ट्रेडिशनल ड्रेस… हर जगह उनका आत्मविश्वास साफ झलकता है। कई लड़कियां उनकी इंस्टाग्राम पोस्ट्स देखकर खुद को फिटनेस की ओर मोड़ रही हैं।

हिलांग का मैसेज हर लड़की के लिए
हिलांग का एक ही मंत्र है – “खुद पर विश्वास रखो, मेहनत करो और कभी हार मत मानो।” वो हमेशा कहती हैं कि “सीमाएं समाज बनाता है, आप नहीं।”
आज वो अरुणाचल प्रदेश की बेटियों के लिए मिसाल हैं। उनका संघर्ष, उनकी जीत और उनकी चमकती मुस्कान हर किसी को यही सीख देती है कि “सपने सिर्फ देखने के लिए नहीं होते, उन्हें जीने के लिए होते हैं।”
तो दोस्तों, अगर आप भी कभी अपने सपनों के रास्ते में खुद को कमजोर महसूस करें, तो एक बार हिलांग याजिक की कहानी याद कर लेना… यकीन मानिए, फिर आप भी कह उठेंगे – “अगर हिलांग कर सकती हैं… तो मैं क्यों नहीं?”