भारत में सुबह की शुरुआत अगर किसी चीज़ से होती है, तो वह है एक कप गरम चाय। खासकर दूध और चीनी वाली चाय — जो न केवल एक आदत है, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव भी बन चुकी है। हालांकि, यह आदत महिलाओं के स्वास्थ्य, विशेष रूप से हार्मोनल संतुलन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
चाय – ऊर्जा का त्वरित स्रोत या धीमा ज़हर?
दूध और चीनी वाली चाय में मौजूद कैफीन, रिफाइन्ड शुगर और डेयरी का कॉम्बिनेशन तुरंत ऊर्जा का एहसास जरूर देता है, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव शरीर में सूजन (inflammation), हार्मोनल असंतुलन और पाचन समस्याओं के रूप में सामने आ सकता है।
1. PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) और चाय का संबंध
PCOS से जूझ रही महिलाओं में इंसुलिन रेज़िस्टेंस और हार्मोनल असंतुलन पहले से मौजूद होता है। दूध और चीनी वाली चाय ब्लड शुगर को तेज़ी से बढ़ाती है, जिससे इंसुलिन स्पाइक्स होते हैं। कैफीन शरीर में कोर्टिसोल (stress hormone) को बढ़ाता है, जिससे ओव्यूलेशन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रिफाइन्ड चीनी एंड्रोजन हार्मोन को और अधिक बढ़ा सकती है, जिससे मुँहासे और अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।
2. थायरॉयड स्वास्थ्य पर असर
दूध और चाय में मौजूद कैसिइन प्रोटीन और कैफीन, थायरॉयड हार्मोन के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं। थायरॉयड की दवाएं (जैसे एल्थरॉक्सिन) अक्सर खाली पेट दी जाती हैं, और उसके तुरंत बाद चाय पीना दवा के प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
3. एनीमिया को और बढ़ा सकती है
चाय में टैनिन (Tannins) होते हैं, जो भोजन में मौजूद आयरन को शरीर में अवशोषित होने से रोकते हैं। खासकर महिलाएं जो पहले से ही आयरन की कमी या थकान से जूझ रही हैं, उनके लिए खाने के तुरंत बाद या साथ में चाय पीना नुक़सानदायक हो सकता है।
4. वजन बढ़ाने में भूमिका
एक कप चाय में अगर 1-2 चम्मच चीनी हो, और दिन में 2-3 बार चाय पी जाए, तो यह छुपे हुए कैलोरीज़ का बड़ा स्रोत बन जाता है। दूध में मौजूद फैट और चीनी का संयोजन शरीर में फैट स्टोरेज को बढ़ावा देता है, जिससे वजन कम करना और मुश्किल हो जाता है।
5. हार्मोनल असंतुलन और सूजन
बार-बार कैफीन का सेवन शरीर के एड्रिनल ग्लैंड्स पर दबाव डालता है, जिससे शरीर में क्रॉनिक स्ट्रेस बना रहता है। यह स्थिति लंबे समय तक चलने पर एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और इंसुलिन जैसे हार्मोनों के संतुलन को बिगाड़ सकती है।
महिलाओं के लिए बेहतर विकल्प क्या हैं?
हर्बल टी: तुलसी, अदरक, दालचीनी, अश्वगंधा या ग्रीन टी जैसे विकल्प हार्मोनल बैलेंस को सुधार सकते हैं।
चीनी रहित या गुड़ की चाय: यदि चाय छोड़ना मुश्किल है, तो गुड़ या नारियल चीनी का सीमित मात्रा में प्रयोग करें।
नाश्ते से पहले चाय से बचें: चाय खाली पेट पीने से एसिडिटी और पाचन संबंधी दिक्कतें होती हैं। बेहतर है कि चाय खाने के कम से कम 1 घंटे बाद ली जाए।
कैफीन की मात्रा घटाएं: दिन में 1 कप से अधिक चाय ना पिएं, और वह भी बिना चीनी व हल्के दूध के साथ।
निष्कर्ष
दूध और चीनी वाली चाय भले ही हमारी दिनचर्या का हिस्सा हो, लेकिन महिलाओं के हार्मोनल स्वास्थ्य के लिहाज़ से यह आदत धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है। PCOS, थायरॉयड, एनीमिया और वजन जैसी समस्याएं पहले से ही महिलाओं में आम हैं — ऐसे में इस आदत पर नियंत्रण रखना एक समझदारी भरा कदम होगा।