पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिज़ीज) एक आम हार्मोनल विकार है, जिससे आज की कई महिलाएं जूझ रही हैं। इस स्थिति में अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें (सिस्ट्स) बन जाती हैं और मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है। यह समस्या वजन बढ़ने, मुंहासे, मूड स्विंग्स और गर्भधारण में कठिनाई जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकती है। हालांकि पीसीओडी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन योग एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है, जो इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में बेहद सहायक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं वे 7 योगासन जो पीसीओडी को मैनेज करने में कारगर माने जाते हैं:
- मालासन (माला मुद्रा)
मालासन को योग में ‘गारलैंड पोज़’ भी कहा जाता है। यह आसान कूल्हों की जकड़न को दूर करता है और पेल्विक क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है। यह पाचन क्रिया को भी सुधारता है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। पीसीओडी की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए यह आसन रोज़ाना करना लाभकारी होता है।

2. सुप्त बद्ध कोणासन
यह आसन लेटकर किया जाता है और यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है। यह योग मुद्रा तनाव को कम करती है, जिससे शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। यह पेल्विक सर्कुलेशन में भी सुधार करता है, जिससे पीसीओडी के लक्षणों से राहत मिलती है।

3. भुजंगासन (सर्प मुद्रा)
भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है और तनाव को कम करता है। यह मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करने में भी मदद करता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन को संतुलित किया जा सकता है। पीसीओडी के लक्षणों से लड़ने में यह योगासन बेहद सहायक है।

4. धनुरासन (धनुष मुद्रा)
यह आसन शरीर के प्रजनन अंगों को सक्रिय करता है और पाचन को मजबूत बनाता है। साथ ही यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है (डिटॉक्सिफिकेशन)। यह योगासन प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और हार्मोनल संतुलन में सुधार करता है।

5. सेतु बंधासन (ब्रिज पोज़)
सेतु बंधासन पेल्विक फ्लोर को मजबूत करने में मदद करता है और थायरॉयड ग्रंथि के कार्य को बेहतर बनाता है। थायरॉयड हार्मोन, पीसीओडी से जुड़ी समस्याओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह आसन प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने में भी उपयोगी है।

6. अधोमुख श्वानासन (डाउनवर्ड डॉग पोज़)
यह आसन मस्तिष्क और पेट के हिस्से में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे तनाव में कमी आती है और शरीर की संपूर्ण कार्यप्रणाली में सुधार होता है। यह मुद्रा हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद करती है, विशेष रूप से तनाव-जनित हार्मोनल बदलावों को कम करने में।

7. शवासन (डेड बॉडी पोज़)
तनाव पीसीओडी का एक प्रमुख कारण होता है। शवासन शरीर और मस्तिष्क को गहरे स्तर पर विश्राम देता है, जिससे कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर घटता है। यह हार्मोनल कार्य को बेहतर बनाकर समग्र स्वास्थ्य को संतुलित करता है।

मानसिक और भावनात्मक संतुलन
योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करता है। नियमित रूप से इन योगासनों का अभ्यास करने से पीसीओडी के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी योग अभ्यास को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है, ताकि शरीर की आवश्यकता और क्षमता के अनुसार अभ्यास किया जा सके।