कठिन परिश्रम, मेहनत और संघर्ष आदमी को कहीं भी पहुंचा सकता है औऱ इसकी जीवंत उदाहरण है प्रतीक्षा टोंडवालकर पुणे की रहने वाली प्रतीक्षा की जिंदगी ने कम उम्र में ही कठिन मोड़ ले लिया था। 17 साल की उम्र में उनकी शादी हुई और महज 20 साल की उम्र में वह विधवा हो गईं।
शौचालय सफाई का किया काम
पति की मृत्यु के बाद उनके सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि उन्हें गुजारे के लिए मात्र 60 रुपये महीने की मामूली कमाई वाली शौचालय सफाई की नौकरी करनी पड़ी। लेकिन प्रतीक्षा ने हार नहीं मानी। उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में स्वीपर की नौकरी शुरू की, बल्कि अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा।
प्रमोशन मिला बनी AGM
दिन में मेहनत-मजदूरी और रात में पढ़ाई इस तरह उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी। उनकी लगन और कठोर परिश्रम का नतीजा यह हुआ कि वह बैंक में प्रमोशन पाती गईं और अंततः सहायक जनरल मैनेजर (Assistant General Manager) के पद तक पहुंचीं। इस पद से उन्होंने सम्मानजनक तरीके से रिटायरमेंट लिया।प्रतीक्षा की यह यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान अपनी मेहनत और हिम्मत से कुछ भी हासिल कर सकता है। उनकी कहानी आज कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।