आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही हैं। आज की नारी ना तो अबला है और ना ही कमजोर है। हमारे देश में कई महिलाएं अपने संघर्षों को पीछे छोड़कर सफलता की ओर बढ़ रहीं हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक महिला के बारे में बताएंगे। बिहार के गया जिले की रहने वाली पहली महिला इलेक्ट्रीशियन सीता देवी ने सभी चुनौतियों को हराकर आगे बढ़ने का फैसला लिया। तो चलिए जानते हैं उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी के बारे में।
कैसे बनीं सीता देवी से इलेक्ट्रिशियन
15 साल पहले जब सीता देवी की शादी हुई तो वह एक सामान्य गृहणी थीं। उनके पति का नाम जितेंद्र मिस्त्री है, जो पेशे से एक इलेक्ट्रीशियन थे। सीता देवी घर और बच्चों को संभालती थीं। लेकिन पति की सेहत ठीक न होने के कारण सीता देवी दुकान पर पति की मदद के लिए बैठने लगीं।
मजबूरी में सीखा काम
सीता देवी के पति के लीवर में सूजन की समस्या रहती थी। वह काम करने की हालत में नहीं थे। तब घर की रसोई और बच्चे संभालने वाली सीता देवी पति के साथ दुकान जाने लगीं ताकि काम में हाथ बंटाने के साथ ही पति का ख्याल रख सकें। पति ने उन्हें उपकरणों को ठीक करना सिखाया। धीरे धीरे सीता देवी पंखा, ग्राइंडर, लाइट जैसे उपकरण ठीक करने लगीं। दुकान में खराब उपकरण को ठीक कराने के लिए ग्राहक आया करते थे। पति की मदद करने के साथ ही सीमा देवी इस काम में माहिर हो गईं।
परिवार की जिम्मेदारियों को साथ में संभाला
उन दिनों सीता देवी के बच्चे छोटे थे। उनका बेटा एक साल का ही था, जिसे सीता देवी अपने साथ दुकान लेकर जाती थीं। वह दुकान की पूरी जिम्मेदारी उठाने लगीं। उनके कई रिश्तेदारों को यह बात पसंद नहीं थी। कई लोग उन्हें ताने भी मारते थे कि वह लड़कों वाले काम करती हैं। लेकिन उन्होंने सभी बातों को अनसुना किया और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सभी चुनौतियों को पूरा किया।
इस तरह सीता देवी जिले की पहली महिला इलेक्ट्रिशियन बन गईं। भले ही उन्होंने ये काम मजबूरी में सीखा, लेकिन आ वह इस काम से हर दिन एक से डेढ़ हजार रुपये तक कमा लेती हैं। अब उनके बच्चे भी दुकान के काम में हाथ बंटाने लगे हैं।