जानिए, सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा

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brain stroke : कोरोनाकाल बीतने के बाद से पिछले कुछ सालों में हार्ट-अटैक के साथ स्ट्रोक के मामले भी काफी बढ़ते हुए देखे गए हैं। हार्ट-अटैक के साथ स्ट्रोक दोनों ही जानलेवा साबित हो रहे हैं। दुर्भाग्यवश कम उम्र के लोगों में भी इसका जोखिम काफी तेजी से बढ़ रहा है।

आमतौर पर सर्दियों के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक ज्यादा आता है, वहीं ये दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। इससे जो लोग जीवित बच जाते हैं, उनमें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे लकवाग्रस्त होने,बोलने-दृष्टि से संबंधित दिक्कत, संज्ञानात्मक समस्याओं का खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, 40 से कम उम्र के लोगों में भी स्ट्रोक के मामलों को बढ़ते हुए देखा गया है, जो निश्चित ही गंभीर चिंता का विषय है।

दरअसल, ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब कोई चीज मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति को रोकने लगती है, या किसी कारण से मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है। स्ट्रोक आने से मस्तिष्क को नुकसान, दीर्घकालिक रूप से विकलांगता या मौत भी हो सकती है। सभी लोगों में स्ट्रोक के लक्षण हों ये जरूरी नहीं है, एक शोध से पता चलता है कि, लक्षण-मुक्त स्ट्रोक अधिक सामान्य हैं।

युवा-वयस्कों में बढ़ रहा है स्ट्रोक का खतरा

एक प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक, स्ट्रोक किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। मोटापा, हाईब्लड प्रेशर और मधुमेह वो प्रमुख कारण हैं जो युवा वयस्कों में इस समस्या के जोखिमों को बढ़ा रहे हैं। बुढापे में स्ट्रोक आम है। हालांकि करीब सात में से एक स्ट्रोक का मामला 15-49 आयु वर्ग के लोगों में देखा जा रहा है।

मोटापा और स्ट्रोक का खतरा

एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मोटापा, स्ट्रोक होने के खतरे को कई गुना तक बढ़ा देता है। मोटापे के कारण कई तरह की जटिलताओं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और रक्त वाहिकाओं की समस्या भी बढ़ने लगती है जो इसका प्रमुख जोखिम कारक है। अगर वजन को कंट्रोल कर लिया जाए तो, इस गंभीर और जानलेवा समस्या के जोखिमों से बचाव किया जा सकता है।

धूम्रपान या सेकेंड हैंड धुएं में सांस लेना

इसके अलावा युवाओं-वयस्कों में स्ट्रोक के अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि, रोगी धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान या सेकेंड हैंड धुएं में सांस लेना भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। इस एक आदत के कारण रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स, बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ रक्त का थक्का जमने की आशंका भी अधिक हो जाती है। रक्त वाहिकाएं मोटी या संकीर्ण होने लगती हैं जिसके कारण स्ट्रोक हो सकता है।


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