सोशल मीडिया वास्तव में मानव समाज के लिए एक वरदान है। हर पहलू के कई पहलू होते हैं। इसी तरह सोशल मीडिया न केवल वरदान बल्कि अभिशाप का भी काम कर रहा है, क्योंकि यह छात्रों के लिए ध्यान भटकाने वाला स्रोत है, जिसकी वजह से उनकी उत्पादकता कम हो रही है। वे ऐसी चीजें भी सीख रहे हैं जो न केवल अनैतिक हैं बल्कि अवैध भी हैं।
आजकल सभी के हाथ में मोबाइल है और जिसका उपयोग सबसे ज्यादा इंस्टाग्राम फेसबुक आदि के लिए किया जाता है और इसकी लत तो पहले से ही किसी लाइलाज रोग जैसे हो चुकी है जो ध्यान नहीं लगने देती किसी भी दूसरी क्रिया पर।
अब बात मानसिक रूप से कैसे खोखला कर रहा है ये रील लाइक शॉर्ट्स बनाने का चस्का
ज्यादा से ज्यादा लोग देखे इसके लिए हर तरह से प्रयास हो रहे है और सफलता भी मिल रही है कोई सड़क पर नाच रहा , लड़ रहा , गाली गलोच के माध्यम से फूहड़ता को हास्य का रूप देने की कोशिश और मजे की बात देखने वाले लोग स्वीकार भी कर रहे।
रील लाइक शॉर्ट्स बनाने का चस्का
सरकार महिला एवं बाल विकास के लिए कई योजनाएं चला रही जिसमे माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत है बताया जा रहा पर इंस्टाग्राम पर तो अनेक महिलाये बेहद चतुराई से खुलकर प्रदर्शन कर रही हैं और लिंक में सभी कुछ दिखाने का वादा किया जाता है और यकीन मानिये लिफाफा देखकर खत का अंदाज़ा लग जाता है , बच्चे क्या देख रहे , क्या उनकी मानसिक स्थिति होती जा रही कौन बताएगा ?

फेसबुक पर शालीनता काफी हद तक अभी है लिंक्डइन एक साफ़ सुथरा प्लेटफार्म साबित हुआ है और यूट्यूब में भी अक्सर प्रेरक विचार के कैप्शन के बाद काफी उत्तेजक कहानी आती है जिस पर हज़ारों में व्यूज दिखाई देते है तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है की किस कदर ये जहर हर घर और घर के अंदर और समाज में अपनी जड़ें मजबूती से पसार चूका है।
सावधान हो जाइये क्युकी एक सज्जन ने कहा था की आग खाओगे तो अंगार ही निकलेगा