भारत की उन महिलाओं को सलाम,
जिन्होंने देश के लिए दिया प्राणों का बलिदान!!
15 अगस्त, 2024 को भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर हम न केवल स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों को नमन करते हैं बल्कि उन महिलाओं को भी नमन करते हैं जिन्होंने नारी शक्ति को बढ़ावा देकर, समाज की बेड़ियों को तोड़कर अपनी जिंदगी देश की आजादी के नाम कर दी।
जहां देश को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और बहुत से पुरुष स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा था, तो वहीं देश की महिलाएं भी पीछे नहीं हटी थी। देश की कई बहादुर महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी आखिरी सांस तक ब्रिटिश हुकूमत का सामना किया था और डटकर मैदान में खड़ी रही थी। आइयें जानते हैं इन महिलाओं के बारे में ,
रानी लक्ष्मीबाई
‘बुंदेले हरबोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो, झांसी वाली रानी थी’, हम सबका बचपन इन्हीं कविताओं को पढ़ते और सुनते हुए बीता है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी आखिरी सांस तक ब्रिटिश सेना का सामना किया था। रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर के निधन के बाद अंग्रेजों ने उनकी झांसी को अपने अधीन करना चाहा, लेकिन रानी लक्ष्मीबाई अपनी आखिरी सांस तक अंग्रेजों के खिलाफ लड़ती रही थी।
सरोजिनी नायडू
भारत की कोकिला के नाम से पहचान बनाने वाली सरोजिनी नायडू का नाम देश की महान और प्रमुख महिला स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं। सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में यह काफी सक्रिय थी, जिसके कारण इन्हें जेल में भी रातें बितानी पड़ी थीं। सरोजिनी नायडू 1925 में कानपुर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष रही थीं।
कस्तूरबा गांधी
राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सामाजिक उत्थान में उनके बहुमूल्य योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इसके लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। वह भारत की आजादी की लड़ाई में अंत तक लगी रही और अपने पति महात्मा गांधी के हर प्रयास में उनके साथ खड़ी रहीं।
नीरा आर्या
देश की आजादी में नीरा आर्या के बलिदानों की कहानी सुनकर लोगों की रूंह कांप जाती है। दरअसल, नीरा आर्या ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने पति तक की हत्या कर दी थी। अपने पति की हत्या के लिए नीरा को जेल में कारावास की सजा दी गई थी, जेल में रहने के दौरान अंग्रेज इन पर रोज नए टॉर्चर कर रहे थे, ताकि यह सब बता दें, अंग्रेजों ने नीरा के स्तन तक काट दिए थे, रोती-बलिखती रहीं, लेकिन इन्होंने देश के साथ गद्दारी नहीं की। इस तरह, वह आजाद हिंद फौज की पहली महिला संपत्ति बन गईं।
बेगम हजरत महल
बेगम हज़रात महल को रानी लक्ष्मीबाई के समकक्ष के रूप में जाना जाता है। दरअसल, बेगम हजरत महल ने ही 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई में अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति और बहादुरी से अंग्रेजी हुकूमत को नाकों तले चने चबाने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने लड़ाई के दौरान ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने को कहा।