भारतीय कॉर्पोरेट जगत में यदि किसी महिला ने पारंपरिक सीमाओं को तोड़ते हुए नेतृत्व का नया आयाम स्थापित किया है, तो वह हैं दिपाली गोयंका। एक पारंपरिक मारवाड़ी विवाह के बाद घरेलू जीवन से शुरुआत करने वाली दिपाली आज भारत की सबसे बड़ी होम-टेक्सटाइल्स निर्यातक कंपनी Welspun Living की CEO और MD हैं। उनकी कहानी न सिर्फ एक व्यवसायिक सफलता की कहानी है, बल्कि यह संघर्ष, सीखने और आत्मविश्वास से लबरेज एक प्रेरणादायक यात्रा है।
शुरुआत: पारंपरिक विवाह से कॉर्पोरेट दुनिया तक
दिपाली गोयंका की शादी 18 साल की उम्र में गोयंका परिवार में हुई थी। कई वर्षों तक उन्होंने एक गृहिणी और माँ की भूमिका निभाई। लेकिन उन्होंने खुद को यहीं तक सीमित नहीं रखा। 2002 में उन्होंने Welspun में काम करना शुरू किया। शुरुआत कंपनी के डिजाइन स्टूडियो से की, लेकिन यहीं से उन्होंने कपास की खरीद से लेकर गारमेंटिंग, ESOPs तक का पूरा ज्ञान अर्जित किया।
Spaces की शुरुआत और मैन्युफैक्चरिंग विस्तार
2003 में उन्होंने घरेलू बाजार को ध्यान में रखते हुए “Spaces” नामक ब्रांड लॉन्च किया, जो आज भी एक जाना-माना होम डेकोर ब्रांड है।2004 में उन्होंने गुजरात में एक फुल-स्केल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की, जिससे कंपनी की उत्पादन क्षमता और बाज़ार में पहुंच दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई।
हावर्ड बिजनेस स्कूल की ट्रेनिंग और नेतृत्व की नींव
2005 में दिपाली ने हावर्ड बिजनेस स्कूल का Owner/President Management (OPM) कार्यक्रम पूरा किया। यह अनुभव उन्हें रणनीतिक निर्णय लेने और नेतृत्व के लिए तैयार करने में बेहद मददगार साबित हुआ। 2006 में उन्होंने यूके की टॉवल कंपनी Christy का ₹100 करोड़ में अधिग्रहण कराया, जिससे Welspun का वैश्विक दायरा और भी मजबूत हुआ।
Welspun Living की कमान और अंतरराष्ट्रीय विस्तार
दिपाली को 2014 में Joint Managing Director नियुक्त किया गया और 2020 में वह CEO और MD बनीं। उनके नेतृत्व में Welspun Living ने $400 मिलियन से बढ़कर $1.2 बिलियन (₹18,566 करोड़) के राजस्व वाली वैश्विक कंपनी का रूप ले लिया। वर्तमान में कंपनी 50 से अधिक देशों में मजबूत सप्लाई चेन और उपस्थिति रखती है।
भविष्य की योजनाएं और नई दिशा
दिपाली गोयंका का ध्यान अब घरेलू ब्रांड बिजनेस पर भी है, जिसे वह FY27 तक ₹1,700 करोड़ तक ले जाना चाहती हैं। साथ ही, फ्लोरिंग और एडवांस टेक्सटाइल्स में भी Welspun की मौजूदगी बढ़ाई जा रही है। वे अमेरिका के ओहायो स्थित पिलो प्लांट में $12.5 मिलियन की ऑटोमेशन तकनीक के साथ उत्पादन बढ़ा रही हैं और एक नई बेडिंग फैसिलिटी की योजना भी बन चुकी है।
सांस्कृतिक बदलाव की कहानी
दिपाली गोयंका की यात्रा सिर्फ एक कॉर्पोरेट सफलता नहीं है, यह एक सांस्कृतिक बदलाव की कहानी है—जहां एक महिला पारंपरिक भूमिकाओं से बाहर निकलकर दुनिया के सबसे बड़े टेक्सटाइल ब्रांड्स में से एक की लीडर बन जाती है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और आत्मविश्वास, मेहनत और दूरदर्शिता से कोई भी सीमा नहीं रहती।