
26 जून, एक ऐसा दिन जब भारतीय संगीत जगत ने एक बेमिसाल आवाज़ का जन्मदिन मनाया—जी हां, हम बात कर रहे हैं गौहर जान की। गौहर जान, जिन्हें भारत की पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार कहा जाता है। उनका जन्म 26 जून 1873 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था। उनका असली नाम एंजेलीना योवार्ड था। उनके पिता विलियम रॉबर्ट योवार्ड एक ब्रिटिश इंजीनियर थे और माँ एडेलिन विक्टोरिया हेमिंग्स एक पेशेवर डांसर व सिंगर थीं। पारिवारिक हालातों के चलते जब गौहर छोटी थीं तो उनके माता-पिता अलग हो गए। इसके बाद माँ-बेटी ने इस्लाम धर्म अपना लिया और एंजेलीना बन गईं ‘गौहर जान’, जबकि उनकी माँ का नाम हो गया ‘मलका जान’। संगीत की शिक्षा उन्हें बनारस और कोलकाता जैसे शहरों में अलग-अलग उस्तादों से मिली। उनकी मां ने उन्हें ठुमरी, दादरा, कजरी, भजन, ग़ज़ल और ख्याल जैसी विधाओं में पारंगत बनाया।
गौहर जान ने बहुत ही छोटी उम्र में मंच पर गाना शुरू कर दिया था। जब वे सिर्फ 14 साल की थीं, तब कोलकाता के एक बड़े कार्यक्रम में उनकी गायकी सुनकर दरभंगा के महाराजा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने गौहर जान पर पैसों की बरसात कर दी। उस दौर में जब सोना 16 रुपये तोला हुआ करता था, गौहर जान एक प्रोग्राम के लिए 3000 रुपये तक लेती थीं। उनकी शोहरत इतनी थी कि राजा-महाराजाओं से लेकर आम लोग तक उनकी महफिलों में शामिल होने के लिए बेताब रहते थे।
संगीत की दुनिया में उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि तब आई जब उन्होंने भारत का पहला ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग किया। यह साल था 1902। ब्रिटिश इंजीनियर फ्रेडरिक गैइसबर्ग भारत आए और उन्होंने गौहर जान की आवाज को रिकॉर्ड किया। रिकॉर्डिंग खत्म होते ही गौहर जान ने बड़े गर्व से कहा – “My name is Gauhar Jaan । बस, यहीं से शुरू हुआ भारत में रिकॉर्डिंग का सिलसिला। गौहर जान ने 1902 से लेकर 1920 तक करीब 600 से भी ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए। वह भी हिंदी, उर्दू, बंगाली, तमिल, मराठी, गुजराती जैसी 10 से ज्यादा भाषाओं में। उनकी आवाज इतनी दमदार और भावपूर्ण थी कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता।
गौहर जान की लोकप्रियता का आलम यह था कि लोग उनकी रिकॉर्डिंग खरीदने के लिए लाइन में लगते थे। कोलकाता की सड़कों पर जब वो चार घोड़ों वाली बग्घी में निकलतीं तो लोग उन्हें देखकर तालियां बजाते। उनकी लाइफस्टाइल बहुत आलीशान थी। महलों में रहना, हीरे-जवाहरात पहनना और बग्घियों में घूमना उनकी पहचान बन गई थी। लेकिन जहां उनकी जिंदगी में इतनी चमक थी, वहीं कुछ दुःख भी थे। उनका प्रेम जीवन भी उतार-चढ़ाव भरा रहा। अमृत केशव नायक से उनका रिश्ता बहुत चर्चित रहा लेकिन नायक की असमय मृत्यु ने उन्हें तोड़ दिया।
सिर्फ संगीत में ही नहीं, देश के सामाजिक आंदोलनों में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई। कहा जाता है कि 1920 में महात्मा गांधी ने स्वराज आंदोलन के लिए गौहर जान से आर्थिक मदद मांगी थी और गौहर ने खुले दिल से मदद दी।
जीवन के अंतिम दिनों में वे मैसूर रियासत चली गईं, जहां उन्हें मैसूर दरबार की राजगायिका बनाया गया। लेकिन धीरे-धीरे उनकी सेहत बिगड़ने लगी और 17 जनवरी 1930 को सिर्फ 56 साल की उम्र में इस सुरों की मलिका ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

आज भले ही उनकी मृत्यु को कई दशक बीत चुके हैं, लेकिन उनकी आवाज आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसी हुई है। आज जब हम गौहर जान का जन्मदिन मना रहे हैं, तो ये मौका है उनकी रिकॉर्डिंग सुनकर, उनकी संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक जिंदगी से सीखने का। उन्होंने हमें सिखाया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अपनी कला और पहचान से समझौता कभी नहीं करना चाहिए। गौहर जान सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, वो भारत की पहली महिला सेलिब्रिटी थीं, जिन्होंने अपने हुनर से इतिहास रच दिया।