करीब पचास साल पहले अगर किसी ने महिला उद्यमी की बात की होती तो लोग चौंक जाते। उस दौर में बिज़नेस की दुनिया में महिलाओं का नाम लेना ही बड़ी बात होती थी। लेकिन आज के समय में हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। जिस रफ्तार से महिलाएं कारोबार की बागडोर संभाल रही हैं, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है।
आज भारत की महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि व्यापार में वे भी अपने पुरुष साथियों की तरह कामयाबी की ऊंचाइयों तक पहुंच सकती हैं। आंकड़े भी यही कहते हैं। अप्रैल 2018 से अप्रैल 2022 के बीच, उन स्टार्टअप्स की संख्या में 915% का इजाफा हुआ है जिनमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर शामिल है। यानी 2018 में 3050 स्टार्टअप्स थे, जो 2022 में बढ़कर करीब 31 हजार हो गए।

अर्थव्यवस्था में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान
IBEF रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 20.37% एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) महिलाओं के मालिक हैं। यहाँ तक कि 23.3% से ज्यादा महिलाएँ देश की श्रम शक्ति में योगदान दे रही हैं। विशेषज्ञों का तर्क है कि यदि महिलाओं की भागीदारी और बढ़े तो भारत का वैश्विक GDP करीब 700 बिलियन डॉलर तक अधिक हो सकता है।
बैन एंड कंपनी के सर्वे के मुताबिक, भारत की महिला उद्यमी 22 से 27 मिलियन लोगों को सीधा रोजगार दे रही हैं। इतना ही नहीं, अगर यही रफ्तार बनी रही तो महिलाएं 2030 तक करीब 150-170 मिलियन नई नौकरियां पैदा कर सकती हैं। यही नहीं, 7 नवंबर 2022 तक DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त महिला स्टार्टअप्स ने करीब 3,90,000 लोगों को रोजगार दिया है।
नेतृत्व में भी पुरुषों से कम नहीं
एक विशेषतम अध्ययन में यह पाया गया है कि जिन कंपनियों का नेतृत्व महिलाएं करती हैं, ऐसी कंपनियाँ व्यवसायिक निर्णयों में अधिक दक्ष होती हैं और उनका प्रदर्शन भी एक समान स्तर पर मजबूत रहता है। हाल के कुछ वर्षों में भारत सरकार ने महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं शुरू की हैं, जिनका प्रभाव साफ दिख रहा है।
अकेले दम पर कारोबार संभाल रही हैं महिलाएं
According to the report of बैन एंड कंपनी, महिला उद्यमी भारत की सबसे अधिक हैं। ये सभी एकल व्यवसायी (Solo Entrepreneurs) हैं। इनमें से केवल 19% उद्यम ही बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। डिलीशस डिटेल यह है कि कठिन समय के बावजूद भी महिला उद्यमी जल्दी खुद को ढालती हैं। उनका इमोशनल इंटेलिजेंस (EQ) पुरुषों की तुलना में अधिक होता है, जिससे वे बेहतर फैसले ले पाती हैं।
इंस्टामोजो के डेटा के अनुसार, भारत में लगभग 58% महिला एंट्रप्रेन्योर्स ने 20-30 साल की उम्र में जीवन में पहला बिजनेस शुरू किया। इनमें से करीब 35% महिलाओं के पास एक सह-संस्थापक (Co-Founder) भी था। इससे यह निश्चित है कि युवा महिलाएं बिजनेस की दुनिया में जल्दी कदम डाल रही हैं।
ऑनलाइन बिजनेस का बढ़ता चलन
महामारी से पहले भारत में महिलाओं के स्टार्टअप्स ज्यादातर ऑफलाइन मोड में थे। लेकिन कोविड के बाद से महिला उद्यमियों का झुकाव ऑनलाइन बिजनेस की तरफ काफी बढ़ा है। इससे भारत का वैश्विक स्टार्टअप इमेज और मजबूत हुआ है। आज DPIIT के रजिस्टर किए गए महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स में से करीब 30.32% सिर्फ IT सेक्टर में काम कर रहे हैं, जो कि सबसे बड़ा सेक्टर बन चुका है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते मिजाज में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक सकारात्मक संकेत है। आने वाले समय में महिला उद्यमी कारोबार की दुनिया में और बड़ी छलांग लगाने को तैयार हैं। अब समय है कि हम उन महिलाओं की सफलता का जश्न मनाएं, जिन्होंने सभी सामाजिक बंदिशों और चुनौतियों को तोड़कर बिजनेस की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। असल में, आज महिलाएं वहां आ गई हैं, जहां पहले उनके लिए दरवाजे ही बंद रहते थे।