होली यूं तो पूरे भारत में मनाया जाने वाला त्योहार है, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग परंपराएं हैं। दुनिया के कई हिस्सों में होली बहुत प्रसिद्ध है और भारत में कई अलग-अलग देशों से लोग इसे मनाने आते हैं। कुछ लोग फूलों से होली खेलते हैं, कुछ लोग रंगों से होली खेलते हैं और कुछ लोग लड्डू से होली खेलते हैं। अलग-अलग जगहों पर होली खेलने की अपनी खास परंपरा होती है।
लठमार होली, मथुरा-वृंदावन
उत्तर प्रदेश में श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा बसी है, जहां की होली देश दुनिया में सबसे ज्यादा मशहूर है। मथुरा में लट्ठमार होली मनाई जाती है। होली में मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली का जश्न देखने लायक होता है। यहां लट्ठमार होली की परंपरा है, जिसमें महिलाएं लट्ठ यानी डंडों से लड़कों को खेल-खेल में मारती हैं और रंग लगाती हैं।

लड्डू और छड़ीमार होली, बरसाना
बरसाना में भी मथुरा की लठमार होली की तरह की छड़ीमार होली खेली जाती है। बरसाने की होली में महिलाएं प्रतिकात्मक तौर पर पुरुषों को लट्ठ या छड़ी से मारती हैं। वहीं पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। इसके अलावा यहां होली से कुछ दिन पहले लड्डू होली मनाई जाती है, जिसमें पंडित भगवान कृष्ण को लड्डू का भोग लगाते हैं और फिर उन्हीं लड्डूओं को भक्तों की ओर फेंकते हैं। इसके बाद अबीर गुलाल और फूलों की होली खेली जाती है।
हंपी, कर्नाटक
कर्नाटक में दो दिन की होली मनाई जाती है। कर्नाटक की होली काफी अनोखे तरीके की होती है, जो हंपी में मनाई जाती है। दूर दराज से लोग हंपी घूमने लिए आते हैं और नाच गाकर रंगों से होली मनाते हैं। हंपी की ऐतिहासिक गलियों में ढोल नगाड़ों की थाप के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। कई घंटों तक रंग खेलने के बाद लोग तुंगभद्रा नदी और उसकी सहायक नहरों में स्नान करते हैं।

मंजुल कुली और उक्कुली, केरल
केरल की होली भी अपने आप में खास होती है। केरल में रंगों का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। केरल में होली को मंजुल कुली या उक्कुली के नाम से जाना जाता है।
डोल जात्रा, असम
असम में भी होली को अलग नाम और खास तरीके से मनाया जाता है। यहां होली को डोल जात्रा कहा जाता है। असम में दो दिन का होली उत्सव होता है। पहले दिन लोग मिट्टी की बनी झोपड़ी को जलाकर होलिका दहन करते हैं। वहीं दूसरे दिन रंग और पानी से होली खेली जाती है।

उदयपुर
यदि आपको शाही अंदाज में होली मनाना पसंद है, तो आप उदयपुर की शानोशौकत वाली होली देखने जरूर जाएँ। होली वाले दिन उदयपुर में शाही महल से मानेक चौक तक निकलने वाले जुलूस में राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं की झलकती दिखाई देती है। जुलूस में सजे-धजे हाथी-घोड़ों के साथ बजने वाले राजस्थानी लोकगीतों का अपने ही मज़ा होता है। इस भव्य होली को मनाने के बाद कोई इस आनंद को भूल नहीं सकता।
पश्चिम बंगाल
बसंतोत्सव के रूप में पश्चिम बंगाल में होली का त्योहार एक सांस्कृतिक ढंग से मनाया जाता है। बंगाल की संस्कृति में रंगोंत्सव का एक विशेष महत्व है। यहाँ मनाई जाने वाली होली देशभर में मशहूर है। पश्चिम बंगाल में ये त्योहार विश्व भारती विश्वविद्यालय में मनाया जाता है। इस विश्वविद्यालय के छात्र आने वाले पर्यटकों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। यहाँ मौजूद सभी लोग आपस में रंग तथा गुलाल उड़ाते हुए खेलते हैं।

पुष्कर
वैसे तो पुष्कर एक धार्मिक स्थल है। लेकिन होली के दीवानों के बीच ये जगह बड़ी प्रसिद्ध है। राजस्थान के पुष्कर में रंगोंत्सव बेहद अनोखे तरीके से मनाया जाता है। आपको बता दें कि होली के दिन पुष्कर में वराह घाट और ब्रम्ह चौक पर होली की ऐसी छठा बिखरती है कि सभी लोग यहाँ मस्ती में डूब जाते हैं। नाचने-गाने में दिन कैसे निकल जाता है, पता ही नहीं चलता। भारत ही नहीं विदेशों से भी यहाँ होली का मज़ा लेने पर्यटक आते हैं।