भारतीय मुक्केबाजों ने अपने शानदार खेल प्रदर्शन से भारत का नाम रौशन कर दिया है। देश की शानदार और पॉपुलर मक्केबाज निकहत जरीन ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने 48-50 किग्रा भारवर्ग में देश के लिए पदक जीता है। लगातार दूसरी बार उन्होंने ये प्रतियोगिता अपने नाम की है। महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में निकहत जरीन ने भारत के लिए तीसरा स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने इस मुकाबले में वियतनाम की न्यूगेन थी ताम को हार का स्वाद चखाया है।

देश को निकहत से बहुत उम्मीद थी और उन्होंने उम्मीद को कायम रखते हुए ये मुकाबला जीता। निकहत ने फाइनल में शुरुआत से ही अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने पहले राउंड में ही 5-0 की बढ़त बना ली। जिसके बाद दूसरे राउंड में भी उनकी बढ़त जारी रही। जिसके बाद तीसरे राउंड में शानदार प्रदर्शन करने के बाद निकहत की जीत तय हो गई थी। और उन्होंने लगातार दूसरी बार बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत ली। निकहत की मां भी पहली बार उनका मैच देखने पहुंची थी।
निकहत कहती हैं कि पहले तो मां रिंग में उतरने की बात पर ही परेशान हो जाती थीं, लेकिन पिछली विश्व चैंपियनशिप के स्वर्ण के बाद वह थोड़ा मजबूत हुई हैं। इसी वजह से वह इस चैंपियनशिप में उन्हें खुद खेलते देखने आई हैं। मार पड़ती है तो मां थोड़ा परेशान होती हैं, लेकिन अब वह समझ गई हैं। निकहत चाहती थीं कि यहां स्वर्ण जीतकर एक बार फिर इसे अपनी मां के गले में डालें और उनका यह सपना पूरा हो गया है।

निकहत के लिए बॉक्सिंग में करियर बनाना बिल्कुल भी आसान नहीं था। उनका जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद और मां का नाम परवीन सुल्ताना है। निकहत के परिवार में उनसे बड़ी दो बहनें और एक छोटी बहन है। चार बेटियों के पिता जमील अहमद सेल्समैन का काम करते हैं और मां गृहणी हैं।
सिर्फ 13 साल की उम्र में ही निकहत ने बॉक्सिंग शुरू कर दी थी, लेकिन उनके लिए यह आसान नहीं था। समाज की तरफ से उन पर हिजाब पहनने का दबाव था। उनके शॉर्ट्स पहनने पर भी आपत्ति जताई गई। हालांकि,निकहत के पास उनके परिवार का समर्थन था और वह इन सब चीजों से लड़ते हुए कड़ी प्रैक्टिस पर लगी रहीं। निकहत के पिता जमील अहमद खुद पूर्व फुटबॉलर और क्रिकेटर रह चुके हैं। ऐसे में उन्होंने बेटी को खेल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। निकहत लड़कों के साथ प्रैक्टिस करती थीं और इस पर कई तरह की बातें की जाती थीं,लेकिन वह सब कुछ अनसुना करने में लगी रहीं।

निकहत ने अपनी शुरुआती शिक्षा निजामाबाद के निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल से ही पूरी की। बाद में हैदराबाद के एवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इस बीच निकहत बॉक्सिंग भी सीखती रहीं। निकहत के चाचा शमशामुद्दीन एक बॉक्सिंग कोच हैं और उनका बेटा भी मुक्केबाज है। ऐसे में निकहत ने उनसे बॉक्सिंग सीखना शुरू किया।
ग्रेजुएशन के दौरान एवी कॉलेज से ही निकहत ने बॉक्सिंग करियर का आरंभ किया था। उन्हें पहली सफलता साल 2010 में मिली। 15 साल की निकहत ने नेशनल सब जूनियर मीट में शानदार प्रदर्शन किया। उसके बाद साल 2011 में तुर्की में हुए महिला जूनियर यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में फ्लाई वेट में गोल्ड जीता। उस साल निकहत ने अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ महिला युवा और जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर बॉक्सिंग में अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया। निकहत ने बैंकॉक में हुए ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल किया। साल 2014 में नेशनल कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता।
निकहत जरीन की उपलब्धियां
2011 में महिला जूनियर युवा विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप अपने नाम की।
2014 में युवा विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
2014 में नेशन कप अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग टूर्नामेंट जीता।
2015 में सीनियर महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती।
2019 में थाईलैंड ओपन में रजत और स्त्रांजा बॉक्सिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता।
2022 में स्त्रांजा बॉक्सिंग टूर्नामेंट और महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
2022 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
2023 महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।