‘स्प्रिंटर दादी’ 95 की उम्र में कर रही हैं देश का नाम ऊंचा

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किसी ने सच ही कहा है कि “एज इज जस्ट अ नंबर” और इस कहावत को सच कर दिखाया है हरियाणा के खेड़का गांव में जन्मी भगवानी देवी ने। उनके शुरुआती जीवन में कई परेशानियां आई.. 30 साल से भी कम उम्र में उन्होंने बेटे और पति को खो दिया। इस हादसे के समय वो दूसरी बार मां बनने वाली थी.. लेकिन इतना दुख भी कम न था कि चार साल बाद ही उनकी बेटी भी चल बसी।

लेकिन इन मुसीबतों से भगवानी देवी ने कभी हार नहीं मानी। इन सबके बाद उन्होने काफी संघर्ष किया और परिवार का भरण पोषण किया। 2007 में उनकी बायपास सर्जरी हुई लेकिन उन्होंने काम से समझौता नहीं किया।

पोते विकास डागर के प्रेरित करने पर उन्होंने मास्टर्स एथलेटिक्स गेम में हाथ आजमाया। पिछले हफ्ते उन्होंने पोलैंड के टोरून में वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप 2023 में 60 मीटर स्प्रिंट, डिस्कस थ्रो और शॉट पुट में तीन स्वर्ण पदक जीते।

वहीं पिछले साल भगवानी देवी ने फिनलैंड में वर्ल्ड मास्टर्स चैंपियनशिप (आउटडोर) में तीन पदक जीते। भगवानी देवी ने 90-94 आयु वर्ग में 100 मीटर में स्वर्ण और शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में एक-एक कांस्य जीता। अब वो पूरी दुनिया में ‘स्प्रिंटर दादी’ के नाम से मशहूर हैं।

चैंपियनशिप की वेबसाइट के अनुसार, भगवानी देवी ने 60 मीटर की दौड़ 36.59 सेकंड में पूरी की। उन्होंने महिलाओं की 85-प्लस श्रेणी (W85 और W95 की संयुक्त घटना) में प्रतिस्पर्धा की और वह W95 श्रेणी में अकेली धावक थीं। W85 के पांच अन्य प्रतियोगी भी उनके साथ दौड़े और उन्हें अलग-अलग स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। शॉट पुट में स्प्रिंटर दादी ने 2.93 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका और वह W95 वर्ग में अकेली प्रतियोगी थीं।

60 मीटर स्प्रिंट की तरह उन्होंने W80, W85 और W90 श्रेणियों के प्रतियोगियों के साथ संयुक्त W80-प्लस इवेंट में शॉट पुट में भाग लिया। W80, W85 और W90 की उप-श्रेणियों में से प्रत्येक – साथ ही W95 – को पदक से सम्मानित किया गया। चक्का फेंक में भी वह W95 श्रेणी में अकेली प्रतिभागी थी और उसने 4.67 मीटर का प्रयास किया। अन्य दो स्पर्धाओं की तरह उन्होंने W80, W85 और W90 के प्रतिभागियों के साथ W80-प्लस डिस्कस थ्रो की एक संयुक्त प्रतियोगिता में भाग लिया।

उनके मुताबिक उनका अगला लक्ष्य फिलीपींस में नवंबर में एशियाई मास्टर्स चैंपियनशिप है। वह एशियाई चैंपियनशिप में पहली बार प्रतिस्पर्धा करने वाली हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि भगवानी देवी रोज इस उम्र में भी पांच से छह किलोमीटर तक चलती हैं। शनिवार और रविवार को वह टेक्निकल कोचिंग करती हैं। उनकी डाइट में देसी आहार शामिल है। दादी कहती हैं कि जबतक जिंदा हूं, पदक जीतती रहूंगी।

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