हालही मे पीएम मोदी ने कर्नाटक दौरे के दौरान पद्म पुरस्कार से सम्मानित बुजुर्ग महिलाओं को सिर झुकाकर सम्मान दिया। बीते बुधवार पीएम मोदी कन्नड़ जिले के अंकोला पहुंचे। वहां उन्होंने पद्म पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौड़ा और सुकरी बोम्मागौड़ा से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी को इन बुजुर्ग महिलाओं ने आशीर्वाद दिया।

तुलसी गौड़ा का जन्म साल 1944 में कर्नाटक के होन्नली स्थित हक्काली जनजाति में हुआ था। तुलसी गौड़ा को बचपन में ही पिता के मृत्यु के बाद जीवन जीने के लिए काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। उन्होंने दिहाड़ी मज़दूर के रूप में भी काम किया था। अपनी मां के साथ तुलसी ने एक नर्सरी में भी काम किया था और 35 सालों तक उन्होंने ये काम किया।
पेड़-पौधे संरक्षण में काफी रूचि होने के कारण तुलसी राज्य के वनीकरण योजना में बतौर कार्यकर्ता शामिल हुई। तुलसी को साल 2006 में वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिली। यहां पर वह 14 सालों तक कार्यरत रहीं। अपने कार्यकाल के समय तुलसी ने अनगिनत पेड़-पौधे भी लगाए।

तुलसी गौड़ा पेड़ों के बारे में बहुत जानकारी रखती हैं और पलभर में उनकी विशेषता बता सकती हैं। इसी के साथ ही तुलसी को बीजों की गुणवत्ता पहचानने की भी कला आती है। 80 वर्षीय तुलसी ने न जाने कितने ही पेड़-पौधे अपने जीवनभर में लगाएं हैं उन पेड़ों की संख्या को शायद ही कोई गिनकर बता पाए। तुलसी ने अपना पूरा जीवन पेड़-पौधों को समर्पित कर दिया इसी कारण से उन्हें जंगल का इनसाइक्लोपीडिया भी बोला जाता है।
वहीं सुकरी बोम्मगौड़ा कर्नाटक के अंकोला से आती हैं। वह परंपरागत जनजातीय संगीत की विरासत को लंबे समय से संभाल रही हैं, जिसकी वजह से उन्हें ‘हलक्की की बुलबुल’ के नाम से पुकारा जाता है। वह लभगग पांच दशकों से जनजातीय संस्कृति की आवाज बनी हुई हैं। 1000 से अधिक पारंपरिक हलक्की गीतों को गाया है।