महिला क्रिकेट की नींव को मजबूती देने वाली पहली भारतीय महिला कप्तान

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हालही में भारत में विमेन प्रीमियर लीग का सफल आयोजन हुआ…देश से विदेश तक में महिला क्रिकेटर्स की चर्चा होती रहती है लेकिन वक्त में पीछे जाएं तो महिला क्रिकेटर्स को कोई नहीं पूछता था।  

लेकिन वक्त बदला और लोगों की सोच में भी बदलाव आया.. जिसके बाद टीवी पर महिला क्रिकेट का भी प्रसारण शुरु हो गया। आज हम आपको हर महिला क्रिकेटर की इंस्पिरेशन रह चुकी उस महिला के बारे में बताएंगे…जिन्होंने क्रिकेट के दम पर उस जमाने में अपनी पहचान बनाई।

हम बात कर रहे हैं देश की पहली महिला टेस्ट क्रिकेट कप्तान रह चुकी शांता रंगास्वामी की।  शांता टेस्ट सीरीज जीतने वाली पहली महिला कफ्तान और बीसीसीआई से लाइफ टाइम अवॉर्ड हासिल करने वाली पहली महिला क्रिकेटर रह चुकी हैं। उन्होंने एक कैप्टन के तौर पर 16 टेस्ट मैच खेले।

19 ओडिआई खेलने वाली शांता ने पहला टेस्ट सेंचुरी और पहला सिक्सर लगाया था। उन्हें 1976 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन इतनी सफल जिंदगी पाने की राह आसान नहीं थी… 1970 के दशक में जब महिला संघ का निर्माण हुआ उस वक्त भी महिला क्रिकेट संघ को गंभीरता से नहीं लिया गया। उस वक्त शांता ने खेल में महिलाओं को लाने के लिए काफी संघर्ष किया।

उस समय मैच ओवर होते ही महिला टीम घर लौटने की व्यवस्था खुद करती थीं।  तब 16 लड़कियों वाली टीम को रेल के अनारक्षित कोच में सफर करना पड़ता था।  रंगास्वामी ख़ुद उन्हें कोच में सामान सहित चढ़ाने और उनको टीटी से बात कर सीट दिलवाने का काम किया करती थीं। इसी के साथ पहली बार जब इंडियन टीम का टेस्ट मैच टीवी पर प्रसारित हुआ तो वो भी उन्हीं की वजह से।

दरअसल, महिला क्रिकेट टीम 1984 में  एक टेस्ट मैच के लिए दिल्ली में थी। टेस्ट मैच खेला गया और इंडियन टीम ने जीता भी, लेकिन उसका प्रसारण टीवी पर नहीं हुआ, जैसा की पुरुषों के मैचेस का होता था। ये बात हमेशा से ही रंगास्वामी जी को सालती थी। वो ये जानती थीं कि जब तक टीवी पर लोग उन्हें क्रिकेट खेलते नहीं देखेंगे तक तक वो न तो उनको जानेंगे और न ही उनको वो सुविधाएं हासिल होंगी जिसकी वो हक़दार हैं।

अड़चन बोर्ड भी थी जो शायद टीवी पर महिला टीम के टेस्ट मैच या किसी मैच को प्रसारित करने से हिचकिचा रही थी। ऐसे में जब रंगास्वामी को दिल्ली में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने का मौक़ा मिला तो उन्होंने बिना वक़्त गंवाए बात छेड़ दी। उन्होंने आग्रह किया किया और अगले ही मैच से महिला क्रिकेट का भी प्रसारण टीवी पर होने लगा। रंगास्वामी जी की के ऐसे ही साहसी प्रयासों की वजह से ही आज भारत में महिला क्रिकेट फल-फूल रहा है।

उनके साथ खेलने वाली सभी महिला क्रिकेटर्स से लेकर उस दौर तक के लोगों को उनका खेल और उनके प्रयास आज भी याद हैं। रंगास्वामी जी के योगदान के बिना आज भारत में महिला क्रिकेट उस मुकाम पर कभी न पहुंच पाता जिस शिखर पर आज वो है।

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