घरेलू-हिंसा(Domestic violence) एक गंभीर मुद्दा है, रियल लाइफ़ में तो इस पर बात करने से महिलाएं बचती हैं, लेकिन बॉलीवुड फ़िल्में हर मुद्दे को ऐसे ही नहीं जाने देतीं, इन फ़िल्मों में समाज की बुराई और अच्छाई दोनों की रियलटी दिखाई जाती है. ऐसी ही कुछ फ़िल्में हैं जो घरेलू-हिंसा पर बनाई गई हैं, जिसमें एक्ट्रेस इस अत्याचार के ख़िलाफ पूरी हिम्मत से लड़ती हैं। ये फ़िल्म हर उस औरत को देखनी चाहिए जो घरेलू हिंसा(Domestic violence) से गुजर रही हैं, हो सकता है ये देख के उनके अंदर भी इन अत्याचारों से लड़ने की हिम्मत आ जाए।
ख़ून भरी मांग
कबीर बेदी, राकेश रोशन और रेखा अभिनीत इस फ़िल्म की कहानी दिल को छूने वाली है, जिसमें रेखा दो बच्चों की विधवा मां के किरदार में है, जिसे कबीर बेदी से प्यार हो जाता है लेकिन कबीर बेदी धोखे से रेखा को मगरमच्छ की झील में फेंक देता है फिर रेखा इस धोखे का बदला लेती है।
अग्नि साक्षी
नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला अभिनीत, इस फिल्म ने सभी को सिखाया, ‘हद से ज़्यादा कुछ भी अच्छा नहीं, प्यार भी नहीं’. इस फ़िल्म में नाना पाटेकर को अपनी पत्नी मनीषा कोइराला उर्फ़ मधु के लिए बहुत स्नेह और प्यार दिखाया गया था, लेकिन ये प्यार कब जंजाल में बदल जाता है जिसे समझना हर औरत को चाहिए।
राजा की आएगी बारात
इस फ़िल्म में रानी की शादी उस आदमी से हो जाती है जिसने उसका रेप किया होता है. उसे लगता है कि इसके बाद सब कुछ सही हो जाएगा। लेकिन हालात पहले से भी ज्यादा गंभीर हो जाती हैं। लेकिन आख़िर में माला उर्फ रानी अपने पति को प्यार से अपना बना लेती है और बाकी ग़ुनाहगारों को सज़ा दिलाती हैं।
मेहंदी
बुरे सपने जैसी ये फिल्म ससुरालवालों और पति की गंदी गालियों और अत्याचारों की हर सीमा को लांगती नजर आती है. इस फिल्म में दहेज के लिए बहू को बुरी तरह प्रातड़ित किया जाता है। वो देखकर अच्छे अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लेकिन आखिर में पूजा (रानी मुखर्जी) इस हिंसा का मुंहतोड़ जवाब देती है और सबको सबक सिखाती है।
दमन
इस फिल्म में दुर्गा नाम की लड़की की शादी एक ऐसे इंसान से हो जाती है जो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है. एक दिन दुर्गा अपने बच्चों के साथ इस नर्क से भाग जाती है और अपने पति की हत्या कर देती है।
प्रोवोक्ड
ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनीत Provoked एक वास्तिवक घटना पर आधारित है, जिसमें एक ऐसी महिला की कहानी है, जो 10 साल तक अपने पति के अत्याचारों को सहती है फिर एक दिन तंग आकर उसकी हत्या कर देती है.
आकाश वाणी
आकाश वाणी में Marital Rape से जुड़े मुद्दे को उठाया गया है. ज़बरदस्ती रिलेशन बनाना किसी के भी सात ग़लत है फिर वो पत्नी ही क्यों न हो? फ़िल्म का मुद्दा बहुत गंभीर है जिसे काफी अच्छी तरह फिल्माया गया है।
थप्पड़
तापसी पन्नू अभिनीत फ़िल्म ने हमें दिखाया कि कारण जो भी हो, शारीरिक शोषण हर तरह से ग़लत है. फ़िल्म हमें जो संदेश देती है वो बहुत ही साफ़ और सटीक है। एक थप्पड़ ही होता है, जो इंसान की हिम्मत को बढ़ाता है, इसलिए उसे रोकना बहुत ज़रूरी है।

डार्लिंग्स
ये फ़िल्म जसमीत के. रीन द्वारा लिखित इस समाज में पनप रही पितृसत्ता के ख़िलाफ़ मुहतोड़ जवाब है। ये फ़िल्म हमें बताती है कि चुप रहकर नहीं, बल्कि परिस्थितियों से लड़कर उन्हें हराया जा सकता है। फ़िल्म में आलिया भट्ट, विजय वर्मा और शेफ़ाली शाह मुख्य भूमिका में हैं।
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