हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के साथ कजरी तीज(Kajri Teej) का उपवास रखा जाता है। इस खास पर्व पर मां पार्वती और भगवान शिव के साथ नीमड़ी माता की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र संतान की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए ये उपवास रखती हैं। इस साल 2 सितंबर को कजरी तीज मनाई जा रही है।

2 सितंबर को सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक और रात को 9 बजकर 45 मिनट से लेकर 11 बजकर 12 मिनट तक शुभ मुहुर्त है।
कजरी तीज(Kajri Teej) के दिन भगवान शिव, माता पार्वती और नीमड़ी माता की पूजा करने के लिए पूजन से पहले मिट्टी और गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बना लें और उसके आसपास नीम की टहनी लगा दें। इसके बाद तालाब में कच्चा दूध और जल डाल लें।
इसके बाद नीमड़ी माता को जल, रोली और अक्षत अर्पित करें। अब नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली, काजल लगा दें। इसके बाद वस्त्र ,फूल, माला, मिठाई, फल के सात कुछ पैसे चढ़ा दें और पूजा स्थल में बने तालाब के किनारे दीपक प्रजव्वलित करें। अब इस तालाब में नींबू, ककड़ी, नाक की नथ, साड़ी औऱ सौलह श्रृंगार रख दें।
शाम होने पर चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दे दें और अपना व्रत खोल लें।