दिवाली लाया पर्वो की सौगात

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DIWALI FESTIVAL LIST : हिन्दू धर्म में दिवाली के त्योहार को पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साथ ही दिवाली का पर्व कुल पांच दिनों का पर्व होता है। दिवाली पर्व की शुरुवात धनतेरस से होती है और भाई दूज के दिन खत्म होती है। बता दे कि धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी फिर दिवाली और इसके बाद गोवर्धन पूजा भाई दूज जैसे बड़े पर्व आते हैं… इन सभी त्योहारों का अपना एक खास महत्व है. ऐसे में दिवाली के बाद जो ख़ास पर्व है वो है गोवर्धन पूजा.. दरअसल गोवर्धन को ब्रज क्षेत्र समेत देश के कई हिस्सों में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

बता दे गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है और इस साल ये पर्व 13 नवंबर 2023 को है। अब बात करे यदि गोवर्धन पूजा की… तो इस दिन सबसे पहले गाय के गोबर से घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत , भगवान श्रीकृष्ण और ग्वालो -गायो की आकृति बनाई जाती है. आकृति बनाने के बाद घी का दीपक और भोग के लिए मीठे पुए रखे जाते हैं और फिर विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है।

अब गोवरधन पूजा के बाद अगले पर्व की बात करे तो वो है भैया दूज ,जिसे भाई दूज और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज का पर्व दिवाली अंतिम पर्व होता है। जैंसा की भाई दूज शब्द से स्पष्ट हो रहा है कि ये पर्व भाई और बहनो के अटूट रिश्ते को प्रदर्शित करता है. इस पर्व में बहनें अपने भाइयों के लिए एक सुखी, स्वस्थ और समृद्धि जीवन की कामना करती हैं और वहीँ भाई अपनी बहनों के प्रति अपना स्नेह जताने के लिए कोई उपहार भेंट करते हैं…ख़ास बात तो ये है कि इस साल भाई दूज के दिन ही  चित्रगुप्त पूजा भी मनाई जाएगी।

हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष  चित्रगुप्त पूजा  कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मनाई जाती है. इस दिन यमराज के सहायक भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है. आपको बता दे कि भगवान चित्रगुप्त हिसाब रखने का काम करते हैं तो ऐसे में इस दिन चित्रगुप्त जी, कलम-दवात, बहीखातों की पूजा की जाती हैं… मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से उन्नति होती है साथ ही नर्क के कष्ट नहीं सहने पड़ते है.

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