CHHATH POOJA : भारत देश को त्योहारों का देश कहा जाता है। हिन्दू धर्म में यहां पर होली ,दिवाली,रक्षाबंधन, भाईदूज आदि त्योहारों का अपना अलग-अलग महत्त्व होता है। इन्ही में से एक छठ पूजा का भी विशेष महत्त्व है।सबसे ज्यादा तो ये पर्व बिहारियों के लिए विशेष होता है। बता दे कि इस पर्व पर भगवान् सूर्य की पूजा की जाती है , व इस दिन उन्हें प्रसन्न किया जाता है। प्रत्येक वर्ष छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को समाप्त होता है।
अब बात करे यदि साल 2023 की तो छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगी और 20 नवम्बर को खत्म होगी। छठ पूजा का समय 18 नवंबर को सुबह 9:10 बजे है और यह 19 नवंबर 2023 को सुबह 7:23 बजे समाप्त होगा। बता दे कि इस पर्व को चार दिनों तक मनाया जाता और इन चारो ही दिन का अपना खास महत्त्व होता है…. तो चलिये जानते है कि आखिर छठ पर्व में कौन-कौन से दिन होते है और उनके क्या महत्व है?
सबसे पहले दिन की यदि बात करे तो वो है नहाय खाये । बता दे कि इस दिन महिलाओ को स्नान करके घर की साफ-सफाई और शाकाहारी भोजन का सेवन करना होता है। अब बात करे यदि दूसरे दिन की तो वो है खरना। खरना के दिन महिलाओ को निर्जला व्रत रहकर श्रद्धा पूर्वक उसका पालन करना होता है। दरअसल इसी दिन से व्रतधारी द्वारा 36 घंटो का व्रत शुरू किया जाता है। छठ पूजा का तीसरा दिन होता है संध्या अर्घ्य, जिसमे भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात आपको छठी मैया की पूजा करनी होती है। इस पर्व का अंतिम दिन होता है उषा अर्घ्य, जिसमे व्रतधारी द्वारा सूर्योदय से पूर्व नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता हैं। इसके पश्चात बाद छठ मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना की जाती है। बता दे कि पूजन के बाद सभी महिलाये कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद ग्रहण करके अपना-अपना व्रत खोलती है।