
कहानी है 200 साल पुराने एक अनसुलझे रहस्य की। ये कहानी देश के सबसे डरावने गांव…. कुलधरा की। जहां एक श्राप ने इस हंसते-खेलते गांव को हमेशा के लिए वीरान कर दिया। क्यों इस गांव में कुछ अजीब से हादसे होते हैं ? क्यों उन वीरान घरों में अक्सर कुछ रहस्यमय आवाजें सुनाई देती हैं? क्यों आसपास की आबादी को दिन के उजाले में भी यहां आना मंजूर नहीं है। क्यों देश की इस ख़ूबसूरत विरासत पर भूतिया होने की मुहर लग चुकी है ?

इतिहास के पन्नों में कई घटनाएं दर्ज है, ऐसी ही एक घटना है राजस्थान के कुलधरा की, कुलधारा राजस्थान का एक रहस्यमयी गांव है, जो करीब 200 साल पहले एक ही रात में उजड़ गया। यह ऐसा उजड़ा कि आज तक कभी नहीं बसा। इसे देश की सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है।
किस्से-कहानियों में कहते हैं कि हंसते-खेलते कुलधरा को जिस शख्स की बुरी नजर लगी वो था रियासत का दीवान सलीम सिंह। आसपास के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि गांव के एक पुजारी की बेटी पर सलीम सिंह की बुरी नज़र पड़ी और वह पुजारी की खूबसूरत बेटी पर फिदा हो गया।

जिसके बाद सलीम सिंह ने उस लड़की से शादी करने के लिए गांव के लोगों को कुछ दिनों की मोहलत दी। गांववालों ने एक सभा बैठायी इस सभा में ब्राह्मणों की बैठक में तय हुआ कि 5000 से ज्यादा परिवार अपने सम्मान को बचाने के लिए सलीम सिंह की रियासत को छोड़ देंगे। सभा की अगली शाम कुलधरा कुछ यूं वीरान हुआ कि आज परिंदे भी उस गांव की सरहदों में दाखिल नहीं होते। कहते हैं गांव छोड़ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दे दिया। तब से आज तक ये वीरान गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है।
कुलधरा गांव के कुछ मकान ऐसे हैं, जहां रहस्यमय परछाई अक्सर नज़रों के सामने आ जाती है। दिन की रोशनी में यहां सब कुछ इतिहास की कहानी जैसा लगता है, लेकिन शाम ढलते ही कुलधरा के दरवाजे बंद हो जाते हैं और दिखाई देता है रूहानी ताकतों का एक रहस्यमय संसार।

कुलधरा की सबसे डरावनी जगह यानी वो बावड़ी, जहां न केवल स्थानीय लोग, बल्कि हजारों सैलानियों ने भी रहस्यमय साए देखने का दावा किया है। 200 साल पहले यही बावड़ी कुलधरा में पानी का इकलौता जरिया था, वहीं आज बावड़ी में पानी तो है लेकिन बावड़ी के पास जिंदगी का कोई नामोनिशान नहीं है।
कहते हैं कि सालम सिंह जिस पुजारी की लड़की के प्यार में पागल था, वो भी गांव वालों के साथ गांव छोड़कर चली गई थी। गांव में बने उस पुजारी के घर में जो उसका कमरा था, वहां उसकी आत्मा आज भी भटकती है।

पुजारी के घर में एक छोटी सी कोठरी है जहां पालीवाल ब्राह्मणों का खजाना रखा जाता था। कहा जाता है कि आज भी उस खजाने की हिफाजत एक जहरीला कोबरा और कुछ अनजान शक्तियां मिलकर करती हैं।

ऐतिहासिक तौर पर सच है कि कुलधरा से हजारों परिवारों का पलायन हुआ। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि कुलधरा में आज भी राजस्थानी संस्कृति की झलक मिलती है। कुल मिलाकर समझें तो कुलधरा में भूत और आत्माओं की कहानियां, सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक वहम हैं। कुलधरा जितना दिन के उजाले में सुरक्षित है, उतना ही रात के अंधेरे में भी।