
वो कहते हैं न, मां बाप के अधूरे सपने को उसकी संतान ही पूरा करता है। कुछ ऐसा ही जमुई में देखने को मिला, एक समय था जब उसकी शिक्षिका मां होनहार और गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देती थी लेकिन मां के गुजरने के बाद बेटा उनके अरमानों और अधूरे सपने को पूरा करने में लगा रहा।
हम बात कर रहे हैं जमुई के कौशल किशोर की। कौशल, जिले के बरहट प्रखंड के ग्रामीण इलाका मलयपुर के रहने वाले हैं उन्होंने गांव में ही डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की है। यहां काफी संख्या में छात्र आते हैं और सुबह से लेकर देर रात कर पढ़ाई करते हैं। कौशल किशोर का कहना है कि उनकी मां भी एक शिक्षिका थी और वो भी अपने समय में गरीब बच्चों को घर पर ही मुफ्त में शिक्षा प्रदान करती थी, लेकिन उनके गुजर जाने के बाद उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने अपनी मां के नाम पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की।
कौशल किशोर का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों के प्रतिभावान छात्रों की पहचान कर उसे प्लेटफार्म देने के साथ-साथ सहूलियत देने की जरूरत है।
उनका कहना है कि उनके गांव से जिला मुख्यालय की दूरी सात किलोमीटर है। और इस वजह से गरीब छात्रों को जिला मुख्यालय जाकर पढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, इसलिए उन्होंने गांव में ही लाइब्रेरी की स्थापना की। उन्हें उम्मीद ही नहीं भरोसा है कि यहां पढ़ाई कर छात्र आने वाले दिनों में प्रतियोगी परीक्षाओं में निश्चित रूप से सफलता हासिल करेंगे।