जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनकी उम्र से लेकर बर्ताव तक कई सारे बदलाव नजर आते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं टीनएजर्स बच्चों की, जो 12 से 19 साल के बीच के उम्र वाले होते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर अपनी प्राइवेसी को लेकर बड़ों से बहस तक कर लेते हैं। बच्चे की ऐसी हरकतों पर कई बार पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं।
अगर आप भी टीनएजर्स के पैरेंट्स हैं तो आपने भी ऐसी सिचुएशंस का सामना जरूर किया होगा, ऐसे में आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीके, जिनसे आप समझ पाएंगे कि टीनएज में पहुंच चुके बच्चों को कैसे समझा जाए।
बच्चों में हो रहें बदलाव को समझे
डिजिटल युग के दौरान बच्चों में भी कल्चरल बदलाव देखने को मिल रहें हैं , उदाहरण के लिए आजकल के बच्चों को देर रात तक जागना, लेट नाइट पार्टी करना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना आदि पसंद होता है। साथ ही, उन्हें इसके लिए पेरेंट्स की परमिशन लेना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को समझना चाहिए और उनपर भरोसा रखने की कोशिश करनी चाहिए।
बच्चे से शांति से करें बात
पैरेंट्स कई बार कंफ्यूज हो जाते हैं कि जिन बच्चों को एक वक्त पर हर समय उनकी जरूरत होती थी, वे अब आजादी जैसी बातें क्यों करने लगे हैं? ऐसे में अपने टीनएजर्स बच्चे से उनकी भावनाओं और जरूरतों के बारे में शांति से बैठकर और समय निकालकर बात करें। उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं और कभी उनका बुरा नहीं चाहते हैं।
बच्चों की जरूरत के हिसाब से करें काम
बच्चों की प्राइवेसी जरूरी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उन्हें आपकी जरूरत नहीं है। हर बच्चा अलग होता है और अलग तरीके से काम करता है, अगर पैरेंट्स उन पर ध्यान नहीं देते हैं तो बच्चा अक्सर पूछ लेता है कि मैंने तो आपको बताया था। क्या आपने मेरी बात सुनी थी पैरेंट्स को हमेशा इस तरह की सिचुएशन से बचना चाहिए।
बच्चे के लिए एक सीमा तय करें
कई बार पेरेंट्स बच्चों के साथ बहुत ज्यादा फ्रेंडली हो जाते हैं, जिसके कारण बच्चे भी अपने मन की हैं। कहीं भी कभी भी बाहर दोस्तों के साथ घूमने जाने की जिद करते हैं। ऐसे में, जरूरी है कि बच्चों के साथ बात चीत करने के लिए एक समय सीमा तय रखें। ताकि वह सीमा के अंदर रहकर ही अपनी मस्ती और दोस्तों के साथ मिलना-जुलना करें।