क्या आपने कभी सोचा है कि कोई ऐसी जगह हो जहां रहने के लिए हमें पैसे न देने हो, जहां कोई राजनीति न हो, जहां हम चैन और सुकून से पूरी दुनिया से दूर हर शोर से दूर रह सके। अगर आप ऐसी जगह जाना चाहते हैं तो पुड्डुचेरी के विलुप्पुरम जिले में पहुंच जाइए। पूरी दुनिया में सूर्योदय के शहर के नाम से मशहूर ऑरोविले को आज कौन नहीं जानता। ऑरोविले एक ऐसा शहर है जहां पूरी दुनिया के पुरुष और महिलाएं शांति से जीवन का आनंद ले रहे हैं। हर तरह की राष्ट्रीयता से ऊपर, न कोई झगड़ा-झंझट और न कोई क्षुद्र राजनीति, ऑरोविले मानवीय संवेदना का चरम है।

इस शहर को मीरा अल्फासा ने 28 फरवरी, 1968 में श्री अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत स्थापित किया था। मीरा अल्फासा को लोग प्यार से मां कहते है। इस शहर को रोजर एंगर द्वारा डिजाइन किया गया था। इस शहर की स्थापना करने वाली ‘मां’ का मानना था कि यह यूनिवर्सल टाउनशिप भारत में बदलाव की हवा लाएगा।
ऑरोविले में आपको मानवीयता का चरम बिंदु देखने को मिलेगा। यहां पूरी दुनिया भर से लोग रहने के लिए आते हैं। हर जाति, वर्ग, समूह, पंथ और धर्म के लोग यहां रहते हैं।

ये जगह धर्म, राजनीति और पैसे से कोसो दूर है और जीवन जीने का नया नजरिया देती है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा किस तरह संभव है तो हम जानकारी के लिए आपको बता दें कि यहां लोग धार्मिकता के बजाय आध्यात्मिकता को अधिक तरजीह देते हैं। इस शहर के बीचो बीच एक मातृमंदिर है और योग का अनुसरण कर रहे लोग इस शहर में बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
यहां 900 की क्षमता वाली एक असेंबली है और यहां की आतंरिक दिक्कतों का निपटारा यहीं के लोग करते हैं। लोग एक-दूसरे की भाषा नहीं समझ पाते इसके बावजूद वे अपना सारा काम बिना रुकावट के करते हैं। यहां लोग बाहर से चीजें आयात-निर्यात करने के लिए ही पैसे का इस्तेमाल किया करते हैं। इसके अलावा यहां सभी चीजों का मूल्य न्यूनतम हैं। यहां सांसारिक सुखों को बिना वजह की तरजीह नहीं दी जाती।
