Bharathi Sake Success Story: कड़ी मेहनत कभी बर्बाद नहीं होती है जीवन में हम जो कुछ भी अच्छा करते हैं उनका फल हमें जरुर मिलता है। आंध्र प्रदेश की रहने वाली साके भारती के ऊपर ये कहावत सही साबित होती है और वो इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. भारती एक दिहाड़ी मज़दूर हैं जिन्होंने हाल ही में पीएचडी की डिग्री हासिल की है। दिहाड़ी मज़दूरी करते हुए भारती(Bharathi Sake) ने ये कामयाबी हासिल की।
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पिता की शराब की लत की वजह से भारती की पढ़ाई में कई अड़चने आई लेकिन ऐसे में नाना ने भारती को अपने साथ रखने का फैसला किया। उन्होंने ही भारती को पढ़ाया. कई परेशानियों के बाद भारती की 10वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से उनकी शादी कर दी गई।
भारती(Bharathi Sake) शादी के लिए तैयार नहीं थी लेकिन फिर भी उन्हें शादी करनी पड़ी इसके बावजूद भी उन्होंने पढ़ना नहीं छोड़ा. लोगों ने ताने भी दिए कि अब क्या करोगी पढ़ कर। मगर भारती ने किसी की नहीं सुनी. वो दिहाड़ी मज़दूरी करती रहीं और पढ़ाई की डोर थामी रखी। इसमें भारती के पति ने भी भारती का काफी साथ दिया।
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मां बनने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी. मज़दूरी करके और बच्चों की परवरिश करते हुए उन्होंने पढ़ाई को जारी रखा और इस सबके साथ अनंतपुर के SSBN कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन पूरा किया।
इस दौरान शिक्षकों ने भी उनका हौसला बढ़ाया. भारती की मेहनत रंग भी लाई। उन्होंने अब केमेस्ट्री में पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली है। भारती अब कॉलेज की प्रोफ़ेसर बनने का ख्वाब दिल में सजाए हुए हैं। साथ ही, अपनी बेटी को भी वो एक डॉक्टर बनाना चाहती हैं। भारती(Bharathi Sake) के पति शिव प्रसाद कहते हैं, ‘मेरी पत्नी की पढ़ाई कोई रातों-रात हुआ करिश्मा नहीं है। उसने 20 साल तक कड़ी मेहनत की है।
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वाक़ई, भारती ने साबित कर दिया कि गरीबी या हालात शिक्षा में बाधा नहीं बन सकते हैं. भारती की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है।