दिल्ली की हिरण्यमयी शिवानी और मंजरी सिंह एक सास और बहू की जोड़ी हैं, जो लॉकडाउन के दौरान एक रचनात्मक समाधान लेकर आईं। उन्होंने अपना क्लाउड किचन, “द छोंक” शुरू किया। इन दोनो के दिमाग में ये काम शुरु करने का ख्याल लॉकडाउन के समय आया।
बिहारी व्यंजन जैसे-लिट्टी चोखा, चूड़ा फ्राय, सत्तु ड्रिंक, सत्तु की पूड़ी, चंपारन मीट, चूड़ा घुघनी इस किचन के खास पकवान हैं जिन्हें बनाने का काम हिरण्मयी करती हैं। वहीं दूसरी ओर मार्केटिंग मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी बहू मंजरी ने उठा रखी है।
ये सास और बहू बिहार से हैं, जिन्हें खाना बनाना और खाना बहुत पसंद हैं। 2011 में जब पूरा परिवार दिल्ली चला गया, तो हिरण्मयी साल में कम से कम एक बार पटना में अपने रिश्तेदारों से मिलने जाती थी। लेकिन लॉकडाउन के समय ऐसा कर पाना नामुमकिन हो गया था और वह पटना को बहुत मिस करने लगी थी और वहां के स्थानीय खाने को भी। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने होममेड बिज़नेस मॉडल के ज़रिए लोगों के लिए पारंपरिक बिहारी भोजन बनाए जाएं इससे जो लोग अपने घर से दूर हैं उन्हें भी घर जैसा खाना खाने को मिलेगा।”
और फिर क्या था हिरण्यमयी ने अपनी बहू के साथ यह आईडिया शेयर किया और इस तरह दोनों ने अपने होम-बेस्ड फ़ूड बिज़नेस ‘द छौंक’ की शुरुआत कर डाली।
बिजनेस की शुरुआत में उन्हें एक दिन में लगभग 40 ऑर्डर मिला करते थे, जो आज के समय में ये संख्या बढ़कर 450 हो गई है। अपने स्टार्टअप के ज़रिए वे हर महीने 4 लाख रुपये तक कमा लेती हैं।
इनके बिज़नेस की एक और ख़ास बात यह है कि ये पैकेजिंग के लिए किसी भी प्लास्टिक के कंटेनर का इस्तेमाल नहीं करते है। ये एनवायरनमेंट फ्रेंडली कंपनी चलाते हैं। इसलिए ये लोग एयरटाइट कांच के कंटेनर में खाना पहुंचाते हैं। ये कंटेनर रीयूज़ेबल भी होते हैं।