हमारे देश में कुछ लोग धर्म के नाम पर विभाजन को जोर दे रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन सबसे दूर हिंदू मुस्लिम एकता की नींव को मजबूत करने में लगे हैं।
आज हम आपको बताने वाले हैं बिहार के ऐसे ही एक गांव के बारे में जहां के लोग काफी वक्त से एक मिशाल कायम कर रहे हैं…बिहार के नालंदा में माड़ी नाम का गांव हैं

जहां पर एक मस्जिद की जिम्मेदारी एक हिन्दू परिवार ने उठा रखी है। ये परिवार ही इस मस्जिद की पूरी देखभाल करता है। इसी के साथ यह परिवार इस मस्जिद में पांच वक्त की नमाज़ भी अदा करता हैं। भले ही ये बात आपको अविश्वस्नीय लगे पर ये परिवार ही मस्जिद की मरम्मत, पेंटिंग, सफाई करवाता है।
जानकारी के मुताबिक साल 1942 के साम्प्रदायिक दंगो की वजह से यहां के सभी मुस्लिम परिवार गांव को छोड़कर अन्य शहरों में बसने के लिए चले गए थे। जिसके बाद से ही हिंदू लोगों द्वारा इस मस्जिद की देखभाल की जा रही है।
कहा जाता है कि लगभग 500 साल पहले हजरत इस्माइल यहां पर आए थे लेकिन उनके इंतकाल के बाद यहां के ग्रामीणों ने मस्जिद के पास ही उन्हें दफना दिया था।

करीब 200 वर्ष पहले इस मस्जिद की नींव रखी गई थी। इस गांव के लोग शादी या उत्सव के दौरान सबसे पहले इस मस्जिद का ही दर्शन करने जाते हैं।
आपको बता दें कि नमाज का वक्त होते ही अजान की रिकॉर्डिंग बजा दी जाती है फिर उसी के जरिए नमाज अदा कर ली जाती है।
पूरे गांव के लोग इसमे बढ़ चढकर सहयोग भी करते हैं। सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लोग बहुत अच्छे से निभाते हैं। मस्जिद के बाहर एक मजार भी है जहां पर लोग चादर चढ़ाने के लिए आते हैं।
इस गांव के लोगों का यह भी मानना है कि इस मस्जिद पर माथा टेकने से उनकी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
इस गांव के लोग बहुत सिद्दत से हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल को कायम रखे हुए हैं। आज के वक्त में ऐसा नजारा देख पाना बहुत मुस्किल है।
