भजिया बेचने वाले पिता की IAS बिटिया के संघर्षों की कहानी

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IAS Deepesh Kumari: अगर किसी चीज को दिल से करना चाहो तो वो चीज जरूर पूरी होती है। मज़बूत इच्छाशक्ति होना बहुत ज़रूरी है. काम चाहे कोई भी हो, अगर उसको करने का आपके अन्दर जज्बा है, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. कुछ ऐसा ही राजस्थान की दीपेश कुमारी ने भी किया. अपने लक्ष्य पर निगाह रखने वाली दीपेश को अपनी बाकी सारी परेशानियां धुंधली दिखाई देने लगीं थी।

दीपेश कुमारी का सफलता का यह सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा. दीपेश राजस्थान के भरतपुर के अटल बंद क्षेत्र में कंकड़ वाली कुईया की निवासी हैं. उनके पिता बीते 25 सालों से ठेले पर भाजिया पकौड़ी बेचते आ रहे थे। परिवार में उनके मां-बाप और चार भाई-बहन हैं, जोकि एक छोटे से कमरे में ही जिंदगी बिता रहे थे. पूरे परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी उनके पिता गोविन्द के हाथों में ही थी. हालांकि, इसके बाद भी उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा देने में कोई कमी नहीं छोड़ी। दीपेश ने भी अपने पिता की मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने दिया और यूपीएससी 2021 में 93वी रैंक लाईं और IAS अफ़सर बनकर परिवार में एक उम्मीद की किरण बिखेर दी।

अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी दीपेश कुमारी हमेशा से ही पढ़ाई में तेज़ थीं. उन्होंने भरतपुर के शिशु आदर्श विद्या मंदिर से अपनी 10वीं की पढ़ाई पूरी की थी और 98% अंकों से उत्तीर्ण हुई थी. इसके बाद 12वीं में वो 89% अंक लेकर आई थी। फिर उन्होंने जोधपुर के MBM इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग कीस जिसके बाद IIT मुंबई से एमटेक की पढ़ाई की। दीपेश कुमारी ने इसके बाद दिल्ली से UPSC की तैयारी की। उनकी मेहनत रंग लाई और दूसरे अटेम्प्ट में ही उन्होंने ऑल इंडिया 93वीं रैंक प्राप्त कर ली।

बेटी के अफ़सर बनने पर मां और पिता बहुत ख़ुश हुए, लेकिन वो आज भी ठेला चलाते हैं और मेहनत करते हैं।

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